- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- मुख्तार बैंडवाले : जिस...
हेमंत शर्मा। मुख्तार हाशमी को मैं कैसे भूल सकता हूं ? वे बनारस में बैण्ड बाजों के 'खुद मुख्तार'थे. बेहद शफ़ीक़, गज़ब के यारबाज़, मोहब्बत आमेज, पुरखुलूस, हर वक्त मदद को तैयार बेहतरीन इंसान. सुर संगीत के साधक, बनारस की शान. पंजाब बैण्ड के 'जुबिन मेहता'. संजीदा, जीवंत और संवेदनशील. आज भी बनारस में आपको जो नामी बैण्ड वाले मिलेगें, वे पंजाब बैण्ड से टूटे उपग्रह ही होंगे. मुख्तार भाई बेजोड़ बैण्ड मास्टर थे. बनारस के कालभैरव मंदिर के पास पांच सौ साल से रहने वाला उनका इकलौता मुस्लिम परिवार था. ये परिवार बीती पांच सदी से बनारसी जीवन में संगीत का रस घोल रहा है. चाहे वह मंदिर का संगीत हो, शिव की बारात हो, गुरु नानक देव की शोभा यात्रा हो, किसी राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत हो या फिर मेरे जैसे बनारसियों की बारात. मुख्तार हर कहीं अपने बैण्ड के साथ मौजूद मिलते. बैण्ड उनका रोज़गार नहीं, पैशन था. उनकी सोच साफ़ थी. जो खोया उसका ग़म नहीं, जो पाया वह किसी से कम नहीं.