जरा हटके

नींद में आप भी हंसते या मुस्‍कुराते हैं, सिर्फ सपना नहीं-ये रही वजह

Manish Sahu
1 Oct 2023 4:26 PM GMT
नींद में आप भी हंसते या मुस्‍कुराते हैं, सिर्फ सपना नहीं-ये रही वजह
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जरा हटके: दिनभर की थकान के बाद इंसान जब सोने जाता है तो अच्‍छी नींद की दरकार होती है. ताकि अगले दिन एनर्जी से भरपूर दिखे. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जब आप गहरी नींद में होते हैं तो हंसी से झोंके आते हैं. आप मुस्‍कुरा उठते हैं. आपने भी लोगों को नींद में हंसते या मुस्कुराते हुए जरूर देखा होगा. ज्‍यादातर लोगों का मानना है कि इंसान तब मुस्‍कुराता है जब नींद में वह कोई सपना देखता है. लेकिन यह सच नहीं है. हकीकत जानकर आपको झटका लगेगा.
न्‍यूयॉर्क स्थित लैंगोन कॉम्प्रिहेंसिव एपिलेप्सी सेंटर के डॉक्‍टर 32 साल की एक मह‍िला का इलाज कर रहे हैं, जो चार साल से हर रात नींद में जोर-जोर से हंसती है. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, मह‍िला के पत‍ि ने बताया कि रात को सोने के तुरंत बाद वह गहरी नींद में चली जाती है. पहले तो वह मुस्‍कुराती है, जिसे देखना सुखद लगता है. लेकिन कुछ ही देर बाद वह जोर जोर से हंसने लगती है. डॉक्‍टरों के मुताबिक, सामान्य रूप से नींद के दौरान हंसना या मुस्कुराना एक आम बात है, लेकिन जब यह तेज हो जाए और रोज होने लगे तो गंभीर समस्‍या है.
जागी तो उसे घटनाएं याद नहीं
नींद एक्‍सपर्ट के मुताबिक, जब लोग गहरी नींद में होते हैं तो उस स्थिति को रैंडम आई मूवमेंट (RIM) कहते हैं. इसी अवस्‍था में ज्‍यादातर लोग सपने देख रहे होते हैं. जब भी कोई मनोरंजक सपना आता है तो मुस्‍कुराना सामान्‍य बात है. लेकिन अगर यह बार-बार हो रहा है, तो यह एक संक्रमण है. डॉक्‍टरों ने मह‍िला के मस्तिष्क का अध्‍ययन किया, लेकिन कोई निष्‍कर्ष नहीं निकला. नींद भी असामान्‍य नहीं थी. हंसने के दौरान उसका शरीर बिल्कुल भी नहीं हिलता था और जब वह जागी तो उसे घटनाएं याद नहीं थीं. यहां तक क‍ि कई बार वह आंखें खुली या बंद कर हंसती थी. मह‍िला एंटीडिप्रेसेंट या एंटीसाइकोटिक्स जैसी दवाएं भी नहीं ले रही थी, जिससे हंसी आती हो.
स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर
डॉक्‍टरों ने बताया कि यह गंभीर न्‍यूरो प्रॉब्‍लम है, जिसे पैरासोमनिया कहते हैं. यह एक स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर है. कई लोगों को इसकी वजह से नींद में बड़बड़ाने की आदत होती है. दिनभर में हुई कोई बात बोलने लगते हैं. दिमाग पर अधिक बोझ पडने की वजह से ऐसा होता है. कई बार पार्किंसंस रोग या मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी जैसी न्यूरोलॉजिकल स्थिति वाले लोगों में भी यह देखा जा सकता है. स्लीप मेडिसिन मैगजीन में पब्‍ल‍िश रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्‍टर इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे कि अगर किसी को इस तरह की दिक्‍कत हो तो तुरंत उसे एक्‍सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए. तनाव मुक्‍त रहें. सोने का टाइम और तरीकों पर ध्यान दें. पेट के बल नहीं, पीठ के बल सोने की आदत डालनी चाहिए.
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