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अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स के पास एक शहर है जिसे नॉरडेल्टा (Nordelta) कहते हैं. इस शहर में पिछले कुछ दिनों अचानक दुनिया के सबसे बड़े चूहों का आतंक फैल गया है. ये खुलेआम शहर में घूम रहे हैं. लोगों के बगीचों को गंदा कर रहे हैं. इनकी वजह से सड़कों पर हादसे हो रहे हैं. यहां तक ये पालतू जानवरों से भी संघर्ष कर ले रहे हैं. अब नॉरडेल्टा के लोग परेशान हैं कि सैकड़ों की संख्या में आए इन घुसपैठियों का क्या किया जाए?
दुनिया के इन सबसे बड़े चूहों को कैपीबरास (Capybaras) कहा जाता है. इनका वैज्ञानिक नाम हाइड्रोकोरस हाइड्रोचेरिस (Hydrochoerus hydrochaeris) होता है. इन्हें कुछ लोग कारपिन्चोस (Carpinchos) भी कहते हैं. ये पिछले कुछ हफ्तों से नॉरडेल्टा में बेफिक्र होकर घूम रहे हैं. नॉरडेल्टा की आबादी करीब 40 हजार है. इन चूहों का आकार 4 फीट तक बड़ा हो सकता है. इनका वजन 79 किलोग्राम तक जा सकता है.
कैपीबरास नॉरडेल्टा के कई बगीचों को खराब कर चुके हैं. वहा मल छोड़ देते हैं. इनकी वजह से सड़कों पर हादसे हो रहे हैं. फूलों और फलों को खराब कर रहे हैं. इतना ही नहीं पालतू कुत्तों और बिल्लियों पर हमला भी कर रहे हैं. जबकि, कैपीबरास हिंसक जीव नहीं है. यह कभी भी इंसानों या पालतू जानवरों के प्रति हिंसात्मक नहीं रहा है.
पर्यावरणविदों की माने तो कैपीबरास नॉरडेल्टा में घुसपैठ नहीं कर रहे हैं. बल्कि वो अपना घर वापस लेने आए हैं, जो लाखों डॉलर्स के प्रोजेक्ट में बर्बाद हो गया है. 1990 के दशक में नॉरडेल्टा इकोलॉजी के हिसाब से बहुत खूबसूरत और कई प्रकार के जीवों का घर था. यहां पर वेटलैंड था जो पाराना नदी (Parana River) के तटों के किनारे बसा था. दक्षिणी अमेरिका की यह दूसरी सबसे बड़ी नदी है. लेकिन इन जगहों पर हुए विकास की वजह से कैपीबरास (Capybaras) के घर बर्बाद हुए.
अर्जेंटीना में पर्यावरण के लिए लड़ाई करने वाले प्रसिद्ध वकील एनरिक वियेल ने कहा कि यह एक चक्र है. नॉरडेल्टा ने कैपीबरास (Capybaras) के घरों में घुसपैठ की थी. अमीर रियल इस्टेट डेवलपर्स ने सरकार के साथ मिलकर इनकी प्रकृति को बिगाड़ दिया था. उस समय भी आवाज उठाई गई थी लेकिन किसी ने नहीं सुनी. प्रकृति की गोद में इंसानों को स्वर्ग जैसा घर देने का सपना दिखाकर बिल्डर्स ने इस इलाके के जीवों को भगा दिया.
एनरिक ने कहा कि लोग प्रकृति के बीच रहना तो चाहते हैं, लेकिन उन्हें वहां पर उनसे पहले से रह रहे जीवों के साथ नहीं रहना. क्योंकि उन्हें सांप, मच्छर और दुनिया के सबसे बड़े चूहे कैपीबरास (Capybaras) नहीं चाहिए. ये तो गलत है. अगर आप को प्रकृति के बीच रहने है तो आपको उन जीवों के साथ रहना होगा, जो पहले से वहां रह रहे हैं. आप उन्हें वहां से भगा नहीं सकते.
एनरिक ने बताया कि 1990 में नॉरडेल्टा बनना शुरु हुआ. दो दशकों में यहां से कैपीबरास (Capybaras) खत्म हो गए या फिर दिखना बंद हो गए. क्योंकि उनका घर खत्म हो चुका था. लेकिन अब दशकों बाद ये वापस अपना घर खोजने आए हैं. ये इतने साल इसलिए बचे रहे क्योंकि इन पर किसी प्राकृतिक शिकारी जैसे जगुआर जैसे जीवों ने हमला नहीं किया. इनकी आबादी पिछले साल 17 फीसदी बढ़ी है.
नॉरडेल्टा (Nordelta) के आसपास इस समय करीब 400 कैपीबरास घूम रहे हैं. लेकिन जिस दर से इनकी आबादी बढ़ी है, उसकी गणना के अनुसार पर्यावरणविदों का मानना है कि कैपीबरास की आबादी करीब 3000 के आसपास होनी चाहिए. वहीं, नॉरडेल्टा (Nordelta) के रहने वाले लोगों का कहना है कि चूहों को मारने से बेहतर है उन्हें किसी और जगह रहने की जगह दी जाए. क्योंकि वो इस इलाके में आराम से घूम रहे हैं. जो कि खतरनाक है. कुछ स्थानीय लोगों ने तो यहां तक धमकी दे दी हम इन चूहों को गोली मार देंगे. हांलाकि अभी तक कोई कैपबरास गोली से नहीं मरा है.
वहीं, पर्यावरण के लिए संघर्ष करने वाले लोगों ने नॉरडेल्टा में प्रदर्शन करना शुरु कर दिया है. वो कैपीबरास जैसे कपड़े पहनकर और हाथों में कैपीबरास को बचाने वाले नारे लिखे कार्डबोर्ड लेकर प्रशासन के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी अपील है कि सरकार दुनिया के इन सबसे बड़े चूहों को सुरक्षित स्थान पर ले जाए. या फिर इसी स्थान पर रहने की अनुमति दे, क्योंकि नॉरडेल्टा (Nordelta) उनका घर था. इंसानों का नहीं. घुसपैठ इंसानों ने की है, उन चूहों ने नहीं.
कैपीबरास (Capybaras) को लेकर अलग तरह की जंग भी चल रही है. अर्जेंटीन की राजधानी ब्यूनस आयर्स में गरीब लोगों का मानना है कि अमीर लोग इन चूहों को क्लास वॉर (Class War) की तरह लेते हैं. यानी जहां कैपीबरास होते हैं, उन इलाकों में गरीब लोग रहते हैं. जबकि कैपीबरास के रहने की जगह पर अमीर लोगों ने कब्जा किया है. ताकि वो गरीब लोगों से दूर जाकर प्रकृति के बीच रह सके.
कुछ पर्यावरणविदों का मानना है कि नॉरडेल्टा के लोग लगातार प्रकृति संरक्षण पर काम कर रहे लोगों और गरीब लोगों से संघर्ष करके थक चुके हैं. कुछ दिन आवाज उठाने के बाद वो इन कैपीबरास को नॉरडेल्टा में रहने देंगे. रिवाइल्डिंग अर्जेंटीना फाउंडेशन के बायोलॉजिस्ट और कंजरवेशन डायरेक्टर सेबास्टियन डी मार्टिनो ने कहा कि नॉरडेल्टा बेहत संपन्न वेटलैंड है. इसे कभी बर्बाद करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी.
सेबास्टियन ने कहा कि 1990 के दशक में जो गलतियां की गई है, उसी का नतीजा आज लोग भुगत रहे हैं. अब नॉरडेल्टा के लोगों को इन जीवों के साथ रहने की आदत डालनी चाहिए. क्योंकि इस धरती पर मौजूद जमीन पर सिर्फ इंसानों का हक नहीं है. ये जगह असल में कैपीबरास (Capybaras) की थी, जिसपर इंसानों ने कब्जा किया था.
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