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अजब-गजब: 61 साल की उम्र में दादी ने पोती को दिया जन्म...जानें हैरान कर देने वाली सच्ची कहानी

Gulabi
6 Dec 2020 8:23 AM GMT
अजब-गजब: 61 साल की उम्र में दादी ने पोती को दिया जन्म...जानें हैरान कर देने वाली सच्ची कहानी
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मगर अमेरिका के नेबरास्का शहर में 61 साल की उम्र में एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक 61 साल की महिला क्या मां बन सकती है? अगर इसका जवाब आप लोगों से पूछेंगे, तो ज्यादातर का उत्तर नहीं में ही होगा. मगर अमेरिका के नेबरास्का शहर में 61 साल की उम्र में एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया है. इस बच्चे को जन्म देने के बाद वह उसकी दादी भी बन गई, क्योंकि उस महिला ने अपने नहीं बल्कि अपने बेटे के बच्चे को जन्म दिया. इसके लिए उन्होंने आईवीएफ का सहारा लिया. सेसिल एलेज ने अपने बेटे की बेटी को जन्म देकर, एक रिकॉर्ड बनाया है. दादी ने पोती को जन्म देकर उसका नाम उमा रखा है.


समलैंगिक बेटे और उनके पति के लिए बनीं सरोगेट

सेसिल एलेज अपने समलैंगिक बेटे और उनके पति के लिए सरोगेट बनी थीं. बच्ची के जन्म के बाद से परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है. उन्होंने अपने बेटे मैथ्यू एलेग और उनके पति एलियट डफर्टी की बेटी को अपनी कोख में रखा और पिछले हफ्ते बेबी उमा लुईस को जन्म दिया. सेसिल के घर के पास रहने वाले मैथ्यू और एलियट ने जब अपने परिवार को बढ़ाने के बारे में प्लान किया, तब दोनों ने बच्चे को जन्म देने के लिए विकल्पों की तलाश करनी शुरू की. इस दौरान एक डॉक्टर ने उन्हें सेरोगेसी के विकल्प के बारे में बताया.




सरोगेसी के लिए सेसिल को मेडिकल जांच की एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. इसके बाद मैथ्यू ने अपना स्पर्म दिया और एलियट की बहन ली एग डोनर बनीं. सेसिल ने बताया कि उन्हें गर्भावस्था में कोई खास तकलीफ नहीं हुई. इससे पहले सेसिल आखिरी बार 30 साल पहले मां बनी थीं. अमरीकी राज्य नेब्रास्का में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता मिली हुई है. साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद से ऐसी शादियां हो रही हैं.

उमा के जन्म के महीनों बाद सेसिल ने कहा कि वो और उनकी पोती स्वस्थ्य है. उन्होंने कहा कि अब इस बच्ची के आस-पास कई लोग इसे समर्थन करने के लिए मौजूद हैं. ये एक प्यारे परिवार में बड़ी होने वाली है.

क्या होता है आईवीएफ

महिलाओं को प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण करने में समस्या होने पर आईवीएफ ट्रीटमेंट का इस्तेमाल किया जाता है. यह एक तरह की टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक है. इस तकनीक के जरिए महिलाओं के गर्भाश्य में दवाओं और इंजेक्शन की मदद से सामान्य से ज्यादा अंडे पैदा किए जाते हैं. बाद में सर्जरी के द्वारा अंडों को निकाल कर प्रयोगशाला में कल्चर डिश में तैयार पति के शुक्राणुओं के साथ मिलाकर फर्टिलाइज किया जाता है. लैब में दो से तीन रखने के बाद इससे बने भ्रूण (एम्ब्रेयो) को महिला के गर्भ में इम्प्लांट कर देते हैं. इस प्रक्रिया में दो से तीन सप्ताह का समय लगता है.


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