जरा हटके

गजब: सौरमंडल का एक ऐसा ग्रह, जहां होती है हीरे की बारिश

Triveni
7 Nov 2020 8:36 AM GMT
गजब: सौरमंडल का एक ऐसा ग्रह, जहां होती है हीरे की बारिश
x
हमारे सौरमंडल में जितने भी ग्रह हैं, उन सभी में कुछ न कुछ रहस्य छुपे हुए हैं। सौरमंडल में चार ग्रह ऐसे हैं,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हमारे सौरमंडल में जितने भी ग्रह हैं, उन सभी में कुछ न कुछ रहस्य छुपे हुए हैं। सौरमंडल में चार ग्रह ऐसे हैं, जिन्हें 'गैस दानव' कहा जाता है। क्योंकि वहां मिटटी-पत्थर के बजाय अधिकतर गैस हैं और इनका आकार बहुत ही विशाल है। वरुण (नेपच्यून) भी इन्हीं ग्रहों में से एक है। बाकी तीन बृहस्पति, शनि और अरुण (युरेनस) हैं। वरुण ग्रह तो पृथ्वी से काफी दूर है। इस ग्रह पर तापमान शून्य से माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। इतने कम तापमान पर इंसान ऐसा जमेगा कि फिर वो किसी पत्थर की तरह टूट सकता है।

वरुण हमारे सौरमंडल का पहला ऐसा ग्रह था, जिसके अस्तित्व की भविष्यवाणी उसे बिना कभी देखे ही गणित के अध्ययन से की गई थी और फिर उसे उसी आधार पर खोजा गया। यह तब हुआ, जब अरुण की परिक्रमा में कुछ अजीब गड़बड़ी पाई गई। इसका मतलब केवल यही हो सकता था कि एक अज्ञात पड़ोसी ग्रह उसपर अपना गुरुत्वाकर्षक प्रभाव डाल रहा है।

वरुण ग्रह को पहली बार 23 सितंबर, 1846 को दूरबीन से देखा गया था और इसका नाम नेपच्यून रख दिया गया। नेपच्यून प्राचीन रोमन धर्म में समुद्र के देवता थे। ठीक यही स्थान भारत में वरुण देवता का रहा है, इसलिए इस ग्रह को हिंदी में वरुण कहा जाता है। रोमन धर्म में नेपच्यून देवता के हाथ में त्रिशूल होता था, इसलिए वरुण का खगोलशास्त्रिय चिन्ह ♆ ही है।

वरुण ग्रह पर जमी हुई मीथेन गैस के बादल उड़ते हैं और यहां हवाओं की रफ्तार सौरमंडल के दूसरे किसी भी ग्रह से काफी ज्यादा है। इस ग्रह पर मीथेन की सुपरसोनिक हवाओं को रोकने के लिए कुछ भी नहीं है, इसलिए उनकी रफ्तार 1,500 मील प्रति घंटे तक पहुंच सकती है।

वरुण के वायुमंडल में संघनित कार्बन होने के कारण वहां हीरे की बारिश भी होती है। अगर इंसान कभी इस ग्रह पर पहुंच भी जाए तो इन हीरों को बटोर नहीं पाएगा, क्योंकि अत्यधिक ठंड के कारण वो वहीं पर जम जाएगा।

Download Amar Ujala App for Breaking News in Hindi & Live Updates. https://www.amarujala.com/channels/downloads?tm_source=text_share


Next Story