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अजीबोगरीब वजह
हमारी पहचान हमारे नाम से ही की जाती है. यही वजह है कि हर शख्स का नाम अपने आप में खास होता है. मगर सोचिए जब कोई आपका नाम बिगाड़े या फिर आपके नाम के साथ अजीब-अजीब राइमिंग करे तो क्या होगा. जाहिर सी बात है कि कोई भी भड़क जाएगा. लेकिन एक महिला खुद पिछले बीस सालों से अपना नाम गलत ले रही थी. असल में ऐसा उसने इसलिए किया क्योंकि लोग उनके नाम का सही उच्चारण नहीं कर पा रहे थे.
नॉटिंघमशायर में रहने वाली ज्योति ने बताया, "स्कूल में मुझे जोटी कहा जाता था और मुझे याद है कि लोग इसे पॉटी के साथ गाया करते थे और मुझे ये बेहद बुरा लगता था. "इसलिए मैंने अपनी मां से एक दिन कहा था 'क्या हम यह नाम बदल सकते हैं, ताकि हर कोई जोटी के बजाय मुझे गोटी के नाम से पुकारे. ऐसा करने पर वे इसे पॉटी के साथ नहीं जोड़ेंगे?' बस तभी से मेरा नाम गोटी में बदल गया.
इसके साथ ही कहा ज्योति ने कहा कि अगर 'लोग त्चिकोवस्की कहना सीख सकते हैं' तो वे ज्योति का उच्चारण कर सकते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले साल उसने अपना मन बदल लिया – जब एक दोस्त ने इसे सही तरीके से उच्चारण करना सीख लिया. जिससे उन्हें अपना सही नाम इस्तेमाल करने की प्रेरणा मिली. अब ज्योति जब भी किसी नए व्यक्ति से मिलती है, अपना नाम तब तक दोहराती रहती है जब तक कि वे इसे ठीक नहीं बोल लेते हैं.
ज्योति ने ये भी कहा, "अगर मैं किसी भारतीय व्यक्ति के साथ होती हूं तो मैं इसे हमेशा सही कहती हूं, क्योंकि मुझे पता था कि वे ऐसा करने में सक्षम होंगे. "कुछ मायनों में मैंने कभी भी लोगों को यह कहने का मौका नहीं दिया, जीवन में बहुत बाद में मुझे एहसास हुआ कि वास्तव में लोग त्चिकोवस्की और मुश्किल से मुश्किल फुटबॉल खिलाड़ियों के नाम का सही उच्चारण कर सकते हैं, फिर वे ज्योति क्यों नहीं कह सकते?"हमारी पहचान हमारे नाम से ही की जाती है. यही वजह है कि हर शख्स का नाम अपने आप में खास होता है. मगर सोचिए जब कोई आपका नाम बिगाड़े या फिर आपके नाम के साथ अजीब-अजीब राइमिंग करे तो क्या होगा. जाहिर सी बात है कि कोई भी भड़क जाएगा. लेकिन एक महिला खुद पिछले बीस सालों से अपना नाम गलत ले रही थी. असल में ऐसा उसने इसलिए किया क्योंकि लोग उनके नाम का सही उच्चारण नहीं कर पा रहे थे.
नॉटिंघमशायर में रहने वाली ज्योति ने बताया, "स्कूल में मुझे जोटी कहा जाता था और मुझे याद है कि लोग इसे पॉटी के साथ गाया करते थे और मुझे ये बेहद बुरा लगता था. "इसलिए मैंने अपनी मां से एक दिन कहा था 'क्या हम यह नाम बदल सकते हैं, ताकि हर कोई जोटी के बजाय मुझे गोटी के नाम से पुकारे. ऐसा करने पर वे इसे पॉटी के साथ नहीं जोड़ेंगे?' बस तभी से मेरा नाम गोटी में बदल गया.
इसके साथ ही कहा ज्योति ने कहा कि अगर 'लोग त्चिकोवस्की कहना सीख सकते हैं' तो वे ज्योति का उच्चारण कर सकते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले साल उसने अपना मन बदल लिया – जब एक दोस्त ने इसे सही तरीके से उच्चारण करना सीख लिया. जिससे उन्हें अपना सही नाम इस्तेमाल करने की प्रेरणा मिली. अब ज्योति जब भी किसी नए व्यक्ति से मिलती है, अपना नाम तब तक दोहराती रहती है जब तक कि वे इसे ठीक नहीं बोल लेते हैं.
ज्योति ने ये भी कहा, "अगर मैं किसी भारतीय व्यक्ति के साथ होती हूं तो मैं इसे हमेशा सही कहती हूं, क्योंकि मुझे पता था कि वे ऐसा करने में सक्षम होंगे. "कुछ मायनों में मैंने कभी भी लोगों को यह कहने का मौका नहीं दिया, जीवन में बहुत बाद में मुझे एहसास हुआ कि वास्तव में लोग त्चिकोवस्की और मुश्किल से मुश्किल फुटबॉल खिलाड़ियों के नाम का सही उच्चारण कर सकते हैं, फिर वे ज्योति क्यों नहीं कह सकते?"20 साल तक खुद का नाम गलत ले रही थी महिला
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