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इसलिए ईमानदार होना है जरूरी
जब बात 6 करोड़ रुपये की हो तो अच्छे-अच्छों की ईमानदारी जवाब दे जाती है, क्यों? हालांकि, एक महिला ने ईमानदारी की ऐसी मिसाल कायम की है कि लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे। दरअसल, केरल में एक लॉटरी स्टॉल चलाने वाली स्मिजा के. मोहन (Smija K Mohan) ने फोन पर कुछ लॉटरी टिकट बेचे। जब उन्हें पता चला कि उनमें से एक लॉटरी ने 6 करोड़ का बम्पर प्राइज जीता है तो वह तुरंत असली मालिक को उसका टिकट सौंपने चली गईं।
इसलिए ईमानदार होना है जरूरी
वह कहती हैं, 'मेरे Chandran chettan को जीतने का टिकट सौंपने के बाद से लोग मेरी ईमानदारी की तारीफ करने लगे। हालांकि, लोगों को समझना होगा कि यह बिजनेस ही ईमानदारी और भरोसे का है। हमें ईमानदार होना होगा, क्योंकि मेहनत की कमाई से टिकट खरीदने वाले हर ग्राहक की बदौलत ही हमारा घर चलता है!
पति के साथ चलाती हैं लॉटरी स्टॉल
मैथेमैटिक्स में ग्रेजुएट 37 वर्षीय स्मिजा के. मोहन दो बच्चों की मां हैं। उन्होंने साल 2011 में अपने पति के साथ मिलकर राजागिरी हॉस्पिटल के पास एक लॉटरी की स्टॉल शुरू की थी। यह उनका पार्ट टाइम काम था। हालांकि, काम अच्छा चलने लगा तो दोनों ने 5 लोगों का स्टाफ रख लिया। दरअसल, पति-पत्नी दोनों Kakkanad में स्थित सरकारी प्रेस में नौकरी करते थे। लेकिन जब उनकी नौकरी छूट गई तो उन्होंने लॉटरी के बिजनेस को खुद चलाने का फैसला किया।
जिंदगी में आए बहुत से उतार-चढ़ाव
The story of this lottery agent Smija from Kerala is so inspiring! Rs.6cr prize came to the ticket she'd only promised to give someone over the phone but had not yet delivered. After learning about the 1st prize, she went & delivered it as promised! A huge salute to her honesty! pic.twitter.com/m0RjrwB3tK
— Rijo M John, PhD (@RijoMJohn) March 23, 2021
स्मिजा कहती हैं, 'बिजनेस ठीक चल रहा था। लेकिन कोविड की मार से हम बच नहीं सके। हमें कर्मचारियों को हटाकर खुद ही सारा काम संभालना पड़ा। हमें तो तब एक और झटका लगा जब पता चला कि मेरी मां को कैंसर हो गया है, और वो भी कोविड के समय में। इतना ही नहीं, मेरा सबसे छोटा बच्चा जो कभी बीमार नहीं हुआ और ना ही किसी बीमारी से पीड़ित था, लेकिन वो अचानाक हमें हमेशा छोड़कर के लिए चला गया।'
ऐसे बिकी थी वह बम्पर टिकट…
जो दिन हमारे लिए बहुत सी खुशी लेकर आया। असल में, वो काफी तनावपूर्ण था। क्योंकि 12 बम्पर टिकट नहीं बिके थे। वो संडे का दिन था और नियमित ग्राहक भी हमारे आस-पास नहीं थे। यहां तक स्मिजा ने लॉटरी के ग्राहकों के एक वॉट्सऐप ग्रुप में भी टिकटों को खरीदने को लेकर सूचना डाली।
कोई नहीं खरीदना चाहता था टिकट!
हालांकि, कोई सभी 12 टिकटों को खरीदने के लिए तैयार नहीं था। यह तब था जब मैंने Chandran chettan से संपर्क किया। उन्होंने मुझे टिकटों की तस्वीर भेजने को कहा और बाद में मुझे अपनी पसंद के नंबर के साथ फोन किया। वो आगे कहती हैं, जब उन्हें विजेता के बारे में सूचना मिली तो वह जल्दी से जल्दी जीत का टिकट उन्हें सौंप देना चाहती थीं।
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