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विलुप्तप्राय प्रजाति में क्यों हैं शेर? IUCN ने अपनी ओर से जारी लाल सूची में बताया

Gulabi Jagat
23 July 2022 1:42 PM GMT
विलुप्तप्राय प्रजाति में क्यों हैं शेर? IUCN ने अपनी ओर से जारी लाल सूची में बताया
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IUCN ने अपनी ओर से जारी लाल सूची में बताया
जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी की जलवायु ही नहीं वन्यजीवों का भी जीना मुश्किल हो गया है. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN), ऐसे जीवों की सूची बनता है जो विलुप्त (Extinct) हो चुके हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं, जिन पर विलुप्त होने का खतरा है और जो असुरक्षित हैं. इससे वन्यजीवों के संरक्षण करने वाले पर्यावरण संरक्षकों और विशेषज्ञों को सही दिशा में काम करने में मदद मिलती है. अब उनके लिए एक अच्छी खबर है संघ ने पाया है कि साल 2015 की तुलना में शेरों (Tigers) की जनसंख्या 40 प्रतिशत बढ़ी है लेकिन वे अब भी विलुप्तप्राय (Endangered) की श्रेणी में ही कायम हैं.
संरक्षणवादियों के लिए यह एक अच्छी खबर है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के अनुसार आज दुनिया में 3726 और 5578 के बीच की संख्या में शेर (Tigers) दुनिया के जंगलों में विचरण कर रहे हं. आईयूसीएन के द्वारा जारी की गई लाल सूच में बताया गया है कि वर्तमान में दुनिया भर की 147517 सूचीबद्ध प्रजातियों में से 41459 प्रजातियां विलुप्तप्राय (Threatened) की श्रेणी में हैं. नई पड़ताल में खुलासा हुआ है कि शेरों की जनसंख्या में 40 प्रतिशत का इजाफा का कारण उनके बेहतर निगरानी है. यह दर्शाता है कि दुनिया में जितना सोचा जा रहा था उससे कहीं ज्यादा शेर हैं. और यह संख्या या तो स्थिर है या फिर बढ़ रही है.
जहां पुनर्आंकलन से इस बात की पुष्टि हुई है कि शेर (Tiger) अब भी अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची के अनुसार विलुप्तप्राय (Endangered) की श्रेणी की प्रजाति में हैं, उनकी बढ़ती जनसंख्या के चलन दर्शाते कि आईयूसीएन इंटीग्रेटेड टाइगर हैबिटैट कंजरवेशन कार्यक्रम जैसी परियोजनाएं सफल हैं और अगर संरक्षण जैसे प्रयास सफल रहे तो सुधार संभव है.
संस्थान ने दुनिया में शेरों (Tigers) की खास तौर से पैंथेरा टिगरिस (Panthera tigris) प्रजाति के सामने कुछ चुनौतियों की सूची भी तैयार की है. इसमें शेरों का शिकार, उनके शिकार का शिकार, आवासीय बिखराव और खेती और मानवीय बसाहट के कराण बढ़ते दबाव की वजह से उनका विनाश शामिल हैं. आईयूसीएन (IUCN) स्पीशेस सर्वाइवल कमीशन के प्रमुख डॉ जॉन पॉल रोड्रिगेज ने बताया कि शेर की जनंसख्या में सुधार दर्शाता है कि संरक्षण की जटिल चुनौती को सुलझाया जा सकता है.
रोड्रिगेज ने बताया कि वैसे तो शेर (Tigers) अब भी विलुप्तप्राय (Endangered) हैं. लेकिन अच्छा संकेत यह है कि उनकी जनसंख्या स्थिर या फिर बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं. वैज्ञानिकों ने नारंगी और काले रंगे के कीड़े वाली तितली (Butterfly) को भी विलुप्तप्राय की सूची में रखा है क्योंकिउनकी संख्या भी कम हो रहै है. आईयूसीएन ने इन विस्थापन करने वाली तितलिओं को पहली बार इस लाल सूची में शामिल किया है और उसे विलुप्तप्राय की श्रेणी में डाला है जिसका मतलब यह होता है कि प्रजाति विलुप्त होने से केवल दो कदम दूर है.
Gulabi Jagat

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