जरा हटके

जब अंतरिक्ष में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने रखा था कदम, फिर कहा- सारे जहां से अच्‍छा हिंदोस्‍ता हमारा...

Gulabi
2 April 2021 8:34 AM GMT
जब अंतरिक्ष में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने रखा था कदम, फिर कहा- सारे जहां से अच्‍छा हिंदोस्‍ता हमारा...
x
विंग कमांडर (रिटायर्ड) राकेश शर्मा का नाम आज तक किसी भी भारतीय के जेहन से नहीं गया है

विंग कमांडर (रिटायर्ड) राकेश शर्मा का नाम आज तक किसी भी भारतीय के जेहन से नहीं गया है. उन्‍होंने काम ही कुछ ऐसा किया था कि आज तक वो हर किसी के दिल में अपनी जगह बनाए हुए हैं. विंग कमांडर राकेश वो पहले भारतीय हैं जिसने अंतरिक्ष में पैर रखा था. अप्रैल 1984 को जब वह अंतरिक्ष में पहुंचे तो उनके साथ ही भारत का नाम भी दुनिया के नक्‍शे में एक नई वजह से चमकने लगा था. विंग कमांडर राकेश का उस यात्रा को 36 साल पूरे हो गए हैं. अभी तक वो पहले भारतीय हैं जिनका रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ सका है. हालांकि भारतीय मूल के कुछ यात्री अंतरिक्ष जरूर पहुंचे हैं लेकिन वो भारतीय नागरिक नहीं थे.


1970 में मिला IAF में कमीशन
13 जनवरी 1949 को पटियाला में जन्‍में विंग कमांडर राकेश शर्मा जुलाई 1966 में नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) पहुंचे. सन् 1970 में वो बतौर फाइटर पायलट उन्‍हें इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) में कमीशन मिला. सन् 1984 में वह स्‍क्‍वाड्रन लीडर की रैंक पर थे जब उन्‍हें एक महत्‍वाकांक्षी मिशन के लिए चुना गया था. 20 सितंबर 1982 को उनका चयन अंतरिक्ष में जाने के लिए किया गया था. विंग कमांडर राकेश आईएएफ और सोवियत संघ के बीच चलाए गए संयुक्‍त अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए चुने गए थे. अप्रैल 1984 में रूस के बाइकोनौर से सोयुज टी-11 रॉकेट लॉन्‍च हुआ और इसके साथ ही वो अंतरिक्ष में पहुंचने वाले पहले भारतीय बन गए. उनके साथ इस मिशन में सोवियत संघ के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल थे.

जब इंदिरा ने पूछा कैसा लगता है भारत
विंग कमांडर राकेश शर्मा ने 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट अंतरिक्ष में बिताए थे. यहां पर उन्‍होंने अपनी टीम के साथ कुछ वैज्ञानिक और टेक्निकल स्‍टडीज को पूरा किया था. साथ ही 43 एक्‍सपरीमेंटल सत्र का भी वो हिस्‍सा रहे थे. क्रू ने मॉस्‍को में एक ज्‍वॉइन्‍ट न्‍यूज कॉन्‍फ्रेंस की थी. इसी कॉन्‍फ्रेंस के दौरान तत्‍कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा था, 'अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है?' इसके जवाब में विंग कमांडर राकेश ने कहा था, 'सारे जहां से अच्‍छा हिन्‍दुस्‍तान हमारा.' उनका यह जवाब आज भी एक एतिहासिक जवाब माना जाता है. शर्मा के साथ ही भारत दुनिया का 14वां देश बन गया था जिसका कोई नागरिक अंतरिक्ष पहुंचा था. विंग कमांडर राकेश शर्मा को उनके सफल मिशन के लिए अशोक चक्र से सम्‍मानित किया गया था.

आसान नहीं अंतरिक्ष में जाना
सन् 1987 में वो हिन्‍दुस्‍तान एरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (एचएएल) के साथ बतौर चीफ टेस्‍ट पायलट के तौर पर जुड़े. सन् 1992 में तक एचएएल की नासिक डिविजन के साथ थे. साल 2001 में उन्‍होंने फ्लाइंग से रिटायरमेंट ले लिया था. हाल ही में एक फेसबुक सेशन के दौरान विंग कमांडर राकेश शर्मा ने अपने अनुभवों को साझा किया था. उन्‍होंने बताया था कि अंतरिक्ष में जाने का मतलब शरीर पर गहरा असर पड़ता है. मनावैज्ञानिक तौर पर हमेशा नॉसिया की फीलिंग रहती है और अक्‍सर चक्‍कर आते हैं. उन्‍होंने इसे स्‍पेस सिकनेस के तौर पर बताया. लेकिन यह भी कहा कि 2 से 3 दिनों के अंदर सबकुछ ठीक हो जाता है. विंग कमांडर राकेश के मुताबिक धरती पर जो काम 30 मिनट में पूरा हो जाता है, अंतरिक्ष में उसे पूरा करने के लिए एक घंटे का समय लगता है.
Next Story