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आज लोग सबसे पहले ये सोचते हैं कि भाई कोरोना ना हो जाए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करते हुए।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज लोग सबसे पहले ये सोचते हैं कि भाई कोरोना ना हो जाए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करते हुए। क्योंकि हम अकेले नहीं हैं ना, हमें रखना होता है अपने पेरेंट्स का ख्याल कि कहीं उन्हें ना ये वायरस पकड़ ले। इसी बात को ध्यान में रखते हुए साइकिल एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है कि साइकिल से ही सफर किया जाए। खैर राहुल आर नायर पब्लिक ट्रांसपोर्ट में रिस्क नहीं ले सकते थे। इसलिए वो बेंगलुरु से अपने घर कोच्चि पहुंचे वो भी साइकिल से। कुल मिलाकर 550 किलोमीटर।
लाइसेंस भी हो गया था एक्सपायर
राहुल का फॉर व्हीलर लाइसेंस सितंबर में ही एक्सपायर हो गया था। फिर उन्होंने ये निर्णय लिया कि वो बेंगलुरु से अपने घर साइकिल से ही जाएंगे। बता दें कि राहुल एक स्टार्टअप चलाते हैं। पहले वो कॉलेज के स्टूडेंट्स को फाइनेंस पढ़ाते थे।
रोज चलाते थे 60 किलोमीटर साइकिल
जब राहुल कॉलेज में थे तो वो रोज 60 किलोमीटर का सफर अपनी साइकिल से ही करते थे। फिलहाल अपने घर की ओर राइड उन्होंने 18 नवंबर को शुरू की थी। बेंगलुरु, मैसूर, कोझिकोड से होते हुए वो कोच्चि अपने घर पहुंचे। 21 तारीख को वो अपने घर पहुंच गए थे।
हो गई थी पंचर
राहुल ने बताया कि तीसरे दिन उनकी साइकिल दो बार पंचर भी हुई पर कुल मिलाकर ये राइड काफी अच्छी थी। हालांकि उन्होंने रास्ते में 22 किलोमीटर का जंगल भी पार किया। तो देखा, अपने पेरेंट्स के लिए लोग क्या-क्या कर जा रहे हैं इस दौर में कि उन्हें कोरोना ना हो।
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