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इन दिनों कोहिनूर हीरा एक बार फिर सुर्खियों में है। इसकी चर्चा के कारण हैं। पहला ब्रिटेन के नए राजा किंग चार्ल्स का राज्याभिषेक है। उन्हें ब्रिटेन के नए सम्राट के रूप में ताज पहनाया गया है। वहीं, ब्रिटेन में एक मॉर्निंग टीवी शो के दौरान एक भारतीय मूल के पत्रकार ने एक बार फिर यह मुद्दा उठाते हुए कहा है कि कोहिनूर को भारत वापस कर देना चाहिए। बता दें कि इससे पहले महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मौत के बाद इसे भारत लौटाने की चर्चा तेज हो गई थी।
हम सभी जानते हैं कि कोहिनूर दुनिया का सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय हीरा है। आपने इसके बारे में कई बार सुना और पढ़ा होगा। यह हीरा बेशकीमती है और इसका इतिहास भारत से जुड़ा है। इस हीरे से जुड़े कई ऐसे रोचक तथ्य हैं, जिन्हें सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। तो आज हम आपको इस हीरे की रोमांचक कहानी विस्तार से बताते हैं और इससे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में भी बताते हैं।
कोहिनूर का इतिहास
कोहिनूर के बिना भारतीय इतिहास की कहानी अधूरी है। इसका इतिहास लगभग 5000 वर्ष पुराना है। आपको बता दें कि हीरे का मौजूदा नाम फारसी में कोहिनूर है। इतिहासकारों के अनुसार कोहिनूर आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में गोलकोंडा खदान में खुदाई के दौरान मिला था। इसे सबसे पहले किसने देखा और कब निकला, इसका आज तक कोई प्रमाण नहीं है।
कोहिनूर हर बार जीता था
इस हीरे से जुड़ी एक दिलचस्प बात आपको जानकर हैरानी होगी कि यह हीरा न तो कभी बिका और न ही कभी किसी ने इसे खरीदने की कोशिश की। कोहिनूर हीरा आज तक केवल जीता, छीना या उपहार में दिया गया है। इसका मतलब है कि आज तक इसका कारोबार नहीं हुआ है। 800 साल से यह हीरा एक राजा से दूसरे राजा के पास जाता रहा है।
भारत से इंग्लैंड पहुंचे कोहिनूर की कहानी
आज से 170 साल पहले भारत की शान कोहिनूर भारत से इंग्लैंड पहुंचा था। भारत इस बेशकीमती हीरे को किसी भी कीमत पर वापस पाना चाहता है। ऐसे में एक बार फिर कोहिनूर चर्चा में है। सबसे पहले यह हीरा भारत में पाया गया था। फिर यह खिलजी शासकों के पास गया। मुगलों ने इसे उनसे छीन लिया। इसके बाद ईरानी शासकों ने इसे मुगलों से भारत से बाहर ले लिया, तब महाराजा रणजीत सिंह इसे वापस ले आए। अंततः यह अंग्रेजों के हाथ लग गया और तब से कोहिनूर लंदन के टॉवर में स्थापित ब्रिटिश ताज का गौरव रहा है।
कोहिनूर की कीमत
कोहिनूर सचमुच अनमोल है। इसकी कीमत का अंदाजा लगाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। चूंकि इसे न तो खरीदा गया और न ही बेचा गया। इसलिए इसकी कीमत आधिकारिक तौर पर नहीं बताई जा सकती है। फिर भी एक अनुमान के मुताबिक कोहिनूर की कीमत 1 अरब डॉलर यानी 8 हजार करोड़ रुपए बताई जाती है। यह कीमत दुनिया के किसी भी महंगे हीरे से कई गुना ज्यादा है।
कोहिनूर का पहला मालिक
आपको बता दें कि कोहिनूर को गोलकुंडा की खदान से निकाला गया था. इसके पहले मालिक काकतीय वंश थे। कहा जाता है कि काकतीय वंश ने इस हीरे को अपनी देवी भद्रकाली की बायीं आंख में लगाया था। अलाउद्दीन खिलजी ने 14वीं शताब्दी में इस हीरे को काकतीय से लूटा था।
ऐसे पड़ा हीरे का नाम
ईरानी शासक नादिर शाह ने कोहिनूर को छीन लिया और भारत से बाहर ले गया। उन्होंने इस हीरे का नाम कोहिनूर रखा। इसका अर्थ है प्रकाश का पर्वत। कहा जाता है कि नादिर शाह के पास यह हीरा मयूर तख्त में जड़ा हुआ था।
महारानी विक्टोरिया तक कैसे पहुंचा कोहिनूर?
कोहिनूर आखिरकार ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया तक कैसे पहुंचा इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। सिखों और अंग्रेजों के बीच पहले युद्ध में हार के बाद गुलाब सिंह को जम्मू-कश्मीर का पहला राजा नियुक्त किया गया था। 29 मार्च 1849 को सिखों और अंग्रेजों के बीच दूसरा युद्ध हुआ। जिसमें सिक्खों की हार हुई और उनका शासन समाप्त हो गया। भारत की अन्य संपत्तियों के साथ कोहिनूर ग्रेट ब्रिटेन की तत्कालीन महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था। इसे 1850 में बकिंघम पैलेस में रानी को भेंट किया गया था और डच फर्म कोस्टर ने हीरे को तराश कर रानी के मुकुट में स्थापित करने में 38 दिन बिताए थे।
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Apurva Srivastav
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