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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण करेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) दिल्ली के इंडिया गेट (India Gate) पर स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. यह खास तरह की होलोग्राम प्रतिमा होगी, जो आज से इंडिया गेट पर दिखने लगेगी. इसके बाद नेताजी की मूर्ति लगाई जाएगी. केंद्र सरकार ने बोस की जयंती को शामिल करने के लिए 23 जनवरी से गणतंत्र दिवस समारोह शुरू करने का फैसला किया है, जिसे इस साल से शुरू होने वाले पराक्रम दिवस (वीरता का दिन) के रूप में मनाया जाएगा. अब लोगों के मन में सवाल है कि आखिर ये होलोग्राम मूर्ति क्या होती है और जब ये लगाई जाएगी तो कैसी दिखेगी.
ऐसे में जानते हैं कि होलोग्राम मूर्ति किस तरह से खास है और इसे किस तरह से बनाया जाता है. तो जानते हैं होलोग्राम मूर्ति से जुड़ी हर एक बात. साथ ही जानेंगे कि जहां नेताजी की मूर्ति लगाई जाएगी, वो जगह भी क्यों खास है और इस जगह की क्या कहानी है.
क्या है प्लान?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेता जी की प्रतिमा वाली तस्वीर ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था, 'जब तक नेताजी बोस की भव्य प्रतिमा बनकर तैयार नहीं हो जाती, तब तक उनकी होलोग्राम प्रतिमा उसी स्थान पर मौजूद रहेगी. मैं 23 जनवरी को नेताजी की जयंती पर होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करूंगा.' इसका मतलब है कि पहले होलोग्राम तस्वीर लगाई जाएगी और इसके बाद मूर्ति लगाई जाएगी.
क्या होती है होलोग्राम मूर्ति?
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आमतौर पर 3डी होलोग्राम तकनीक का उपयोग नहीं किया जाता है, ऐसे में नेताजी की यह प्रतिमा देश में अपनी तरह की अनूठी होने वाली है. इस खास टेक्नोलॉजी में प्रोजेक्टर्स का इस्तेमाल होता है और उन प्रोजेक्टर्स के सहारे 3 डी इमेज तैयार की जाती है. यह ऐसा प्रोजेक्शन होता है, जिसमें तस्वीर हकीकत से मिलती जुलती होती है. ये 3 डी वैसा नहीं है, जैसा कि 3 डी फिल्मों में होता है.
इसकी कहानी कुछ अलग है. इसमें कई तरफ से प्रोजेक्टर्स के जरिए इमेज क्रिएट की जाती है. फिल्म वाले 3डी में तो सिर्फ एक साइड से ही देखा जा सकता है, लेकिन होलोग्राम में कई साइड से देखा जा सकता है. यानी इमेज के चारों तरफ घूमा जा सकता है और इससे अलग अलग एंगल से जा सकेगा. जिस तरह एक मूर्ति लगी होती है, वैसे ही यह मूर्ति होगी, लेकिन यह वर्चुअल रूप से तैयार की गई होगी.
चश्मे की जरूरत नहीं होगी
आपने देखा होगा कि जब भी 3डी फिल्में देखते हैं तो उसके लिए खास तरह का चश्मा होता है, उसके बाद 3डी इफेक्ट दिखाई देता है. लेकिन, 3डी होलोग्राम की खास बात ये है कि इसके लिए किसी चश्मे की जरूरत नहीं होती है. ये होलोग्राम खास तरह की लाइट से बनाए जाते हैं और दिखने में यह रियल फिजिकल ऑब्जेक्ट की तरह दिखते हैं. इसमें लेजर लाइट के जरिए नेताजी की मूर्ति बनाई जाएगी. ऐसे में यह सिर्फ नेताजी को श्रद्धांजलि नहीं होगी, बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करेगी.
3डी होलोग्राम प्रोजेक्ट करने के लिए प्रोजेक्टर के अलावा एक पारदर्शी होलोग्राफिक स्क्रीन की भी जरूरत होती है. होलोग्राफिक स्क्रीन एक प्रमुख तत्व है जिस पर होलोग्राम की गुणवत्ता निर्भर करती है. ऐसे में यह मूर्ति अपने आप में खास है और इस टेक्नोलॉजी से मूर्ति का निर्माण वाकई देखने योग्य होगा. यह 4k प्रोजेक्टर के जरिए दिखाई जाएगी, जो काफी महंगे होते हैं. इस स्क्रीन की खास बात ये है कि जब मूर्ति देखेंगे तो प्रतिमा के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पारदर्शी होलोग्राफिक स्क्रीन लोगों को दिखाई नहीं देगी.
यहां पहले किसकी मूर्ति लगी थी?
बता दें कि दिल्ली में जहां इंडिया गेट बना है, वहां आसपास एक बड़ा सा पार्क है. इस पार्क में ही ये छतरी बनी है, जो इंडिया गेट के सामने है. बता दें कि जब इंडिया गेट बनकर तैयार हुआ था तब इसके सामने जार्ज पंचम की एक मूर्ति लगी हुई थी. इसे बाद में ब्रिटिश राज के समय की अन्य मूर्तियों के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया. यह 1960 के दशक तक यहां लगी थी और 1968 में इसे हटाया गया था. अब जार्ज पंचम की मूर्ति की जगह प्रतीक के रूप में केवल एक छतरी भर रह गई है, जहां अब नेताजी की फोटो लगाई जाएगी. बता दें कि कोरोनेशन पार्क दिल्ली में निरंकारी सरोवर के पास बुरारी रोड़ पर है.
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