जरा हटके

चलती ट्रेन में सो जाए लोको पायलट तो क्या होगा?

Gulabi
13 May 2021 11:21 AM GMT
चलती ट्रेन में सो जाए लोको पायलट तो क्या होगा?
x
सो जाए लोको पायलट

रेलवे टेक्नोलॉजी की एक रिपोर्ट् के मुताबिक अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत में विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. भारत का रेल नेटवर्क करीब 68 हजार रूट किलोमीटर लंबा है. अब जब देश का रेल नेटवर्क इतना बड़ा है तो यहां रेल दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं. रेल से जुड़ी ज्यादातर दुर्घटनाएं साधारण होती हैं, जिनमें ज्यादा जान-माल का नुकसान नहीं होता. लेकिन, हमने यहां ऐसे रेल एक्सिडेंट भी देखें हैं जो पूरे देश को हिला चुके हैं. इसके बावजूद भारतीय रेल अपने विशाल रेल नेटवर्क को काफी शानदार और सुरक्षित तरीके से मैनेज करता है.


कई कारणों से हो सकते हैं रेल एक्सिडेंट
देश में होने वाली रेल दुर्घटनाएं कई बार तकनीकी कारणों से होती है तो कई बार यह लापरवाही और मानव त्रुटियों से भी हो सकती हैं. रेल दुर्घटनाओं को लेकर कई बार लोगों के मन में ऐसे सवाल भी आते हैं कि अगर कोई ड्राइवर (लोको पायलट) चलती ट्रेन में सो जाए तो क्या होगा? अब आप सोच रहे होंगे कि यदि चलती ट्रेन में लोको पायलट सो जाए तो वह ट्रेन भयानक हादसे का शिकार हो जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं है. जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा. यदि कोई ड्राइवर चलती ट्रेन में सो भी जाए तो उसकी ट्रेन का एक्सिडेंट नहीं होगा और इसकी कई वजह भी हैं.

हर ट्रेन में होते हैं दो लोको पायलट
भारत की सभी ट्रेनों में दो लोको पायलट होते हैं. यदि एक लोको पायलट सो भी जाए तो दूसरा लोको पायलट किसी भी प्रकार की परिस्थितियों का सामना करने के लिए सक्षम होता है. इसके अलावा, मान लीजिए यदि कभी कोई बड़ी मुसीबत आ भी जाए तो वह अपने साथी लोको पायलट को जगाकर परिस्थितियों पर काबू पा सकता है. हालांकि, ऐसा बहुत कम होता है जब कोई ड्राइवर अपनी ड्यूटी के समय चलती ट्रेन में सो जाए. और अगर सो भी जाए तो इससे किसी तरह का कोई ट्रेन एक्सिडेंट नहीं होता. इसके अलावा ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए एक बेहद ही जबरदस्त तकनीक भी है, जिससे ट्रेन एक्सिडेंट नहीं होते.

दोनों ड्राइवर सो जाएं, तब भी नहीं होगा एक्सिडेंट
जैसा कि अभी हमने आपको बताया कि सभी ट्रेनों में दो लोको पायलट होते हैं. मान लीजिए यदि ट्रेन में मौजूद यदि दोनों पायलट भी सो जाएं, तब भी उस ट्रेन का एक्सिडेंट नहीं होगा. इसके पीछे की वजह जानने से पहले आपको ये जानना जरूरी है कि ट्रेन चलाते समय लोको पायलट यदि किसी भी प्रकार की गतिविधियां करते हैं तो वह सब इंजन को मालूम चलता रहता है. मान लीजिए, यदि ड्राइवर हॉर्न बजाए, ब्रेक लगाए, स्पीड बढ़ाए आदि किसी भी तरह का कोई काम करे तो इंजन तक ये मैसेज पहुंचता रहता है कि ड्राइवर एक्टिव है.

किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया न होने पर अपने आप रुक जाती है ट्रेन
कई बार ट्रेनों को एक ही स्पीड में चलना पड़ता है. इस दौरान लोको पायलट को न तो स्पीड बढ़ाने की जरूरत होती है और न ही ब्रेक लगाने की जरूरत पड़ती है. इतना ही नहीं, कई बार ड्राइवरों को हॉर्न बजाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है. ऐसी परिस्थितयों में इंजन के पास कोई मैसेज नहीं पहुंचता. ऐसी परिस्थितियों में लोको पायलट को इंजन में मौजूद Dead Man's Lever को समय-समय पर दबाना होता है. Dead Man's Lever एक खास डिवाइस होता है जो इंजन को इस बात का संकेत देता है कि ड्राइवर एक्टिव है. यदि ड्राइवर हर 2-3 मिनट पर ये डिवाइस नहीं दबाता तो इंजन अपने आप ही ट्रेन की स्पीड को कम कर देगा और थोड़ी ही दूरी पर जाकर रुक जाएगा.


Next Story