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जापान का मशहूर अबुरी मोजी
जापान को दुनिया का वो देश कहा जाता है जिसने संस्कृति और सभ्यता के नाम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी योगदान दिया है. जापान का नाम आते ही यहां के लोगों का वो चेहरा सामने आ जाता है जिनके लिए शिष्टाचार ही सबकुछ है. शायद इसी संस्कृति और शिष्टाचार का नतीजा है कि यहां पर एक ऐसा बिजनेस है जो पिछले 1000 साल से लगातार तरक्की कर रहा है. कोरोना वायरस ने देश की अर्थव्यवस्था पर लगाम लगाई मगर इस बिजनेस पर कोई असर नहीं पड़ा है. जानिए इसके बारे में सब-कुछ.
कैसे हुई थी शुरुआत
इशीमॉनजिया वासुके जापान की एक बहुत पुरानी कंफेक्शनरी कंपनी है. क्योटो के किता-कू में स्थित इस कंपनी की शुरुआत 1001 में हुई थी. परिवार की 25वीं पीढ़ी आज तक इस बिजनेस को आगे बढ़ा रही है. जिस बिल्डिंग में हाल ही में कंपनी ने अपनी शुरुआत की है वो भी 300 साल पुरानी है.
इस बिल्डिंग के बाहर कई सारी बेंच और टेबल आपको दिख जाएंगे. यहां के स्थानीय लोग इसे इशिवा के तौर पर बुलाते हैं. इस बिजनेस की शुरुआत बिल्डिंग के सामने स्थित इमामिया श्राइन में आने वाले श्रद्धालुओं को नाश्ता मुहैया कराने के मकसर से हुई थी. इस श्राइन को सन् 994 में स्थापित किया गया था.
जापान का मशहूर अबुरी मोजी
यह कंपनी पारंपरिक जापानी मिठाई वागाशी को चाय के साथ सर्व करती है. इसके अलावा अबुरी मोजी (रोस्टेड राइस केक), मीठा मिशो सॉस, सेकिहान यानी (एक तरह के राजमा-चावल) और ग्रीन टी भी सर्व करती है. हालांकि समय बदलने के साथ इसमें कुछ बदलाव भी हुए हैं ताकि इसे आधुनिकता का रंग दिया जा सके.
पहले जो पानी मोशी बनाने के लिए प्रयोग किया जाता था उसे दुकान के पास के तालाब से लाया जाता था. लेकिन बाद में स्वास्थ्य अधिकारियों ने जब पानी का प्रयोग करना प्रतिबंधित कर दिया तो यहां से पानी लेना बंद कर दिया गया.
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हर प्लेट की कीमतों को तय कर दिया गया. इस व्यंजन को को सबसे पहले 1000 साल पहले आयोजित यासुरी मातसुरी फेस्टिवल में बेचा गया था.
अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक
अबुरी मोजी एक राइस केक है जिसे बांस की स्टिक में लगा कर दिया जाता है. इसे सोयाबीन के आटे में लगाकर भूना जाता है. एक बार सर्व करने के लिए 15 स्टिक तैयार होती हैं. हर हिस्सा इतना बड़ा होता है कि आप इसे आसानी से खत्म कर सकते हैं. अबुरी मोजी को पकाने के तीन घंटे के अंदर खत्म कर लेना चाहिए.
इस वजह से ही जो लोग जापान के बाहर से आते हैं, वो इसे कभी भी अपने साथ ले नहीं जा पाते हैं. अबुरी मोजी को कोयले पर भूना जाता है. अबुरी मोजी के बारे में कहते हैं कि इसके खाने से हर तरह की बीमारी को शरीर के अंदर दाखिल होने से रोका जा सकता है. आज भी यह मिठाई अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक मानी जाती है.
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