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एक समय था जब दुनिया तरह-तरह के जीव-जंतुओं से भरी हुई थी, लेकिन
एक समय था जब दुनिया तरह-तरह के जीव-जंतुओं से भरी हुई थी, लेकिन समय के साथ बहुत कुछ बदला और धीरे-धीरे बहुत से जीव विलुप्त होते चले गए। आज हम उन जीव-जंतुओं के बारे में सिर्फ किताबों में ही पढ़ते हैं या फिल्मों में देखते हैं। अब कहा जा रहा है कि बंदरों की एक प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है। ये बंदर सुनहरे और भूरे बालों वाले होते हैं। इन्हें बंदरों की दुर्लभ प्रजाति की श्रेणी में रखा गया है। इन बंदरों को तापानुली ओरंगुटान कहा जाता है। ये दुनिया में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया के उत्तरी सुमात्रा के बटांग तोरू पहाड़ियों पर स्थित जंगलों में रहते हैं। सुमात्रा इंडोनिशया का एक द्वीप है।
तापानुली ओरंगुटान को 'द ग्रेट एप्स' भी कहा जाता है। पहले ऐसा माना जा रहा था कि तापानुली ओरंगुटान के विलुप्त होने में काफी समय है, लेकिन अब ऐसा देखा जा रहा है कि ये बहुत तेजी से खत्म हो रहे हैं। दरअसल, पिछले 200 साल से इनके रहने का इलाका लगातार छोटा होता जा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले बड़ी संख्या में तापानुली ओरंगुटान थे, जो जंगल के एक बड़े इलाके में रहते थे, लेकिन अब शिकारियों की वजह से ये बटांग तोरू पहाड़ के जंगलों के सिर्फ तीन फीसदी हिस्से में ही रहते हैं और इनकी संख्या भी कम हो गई है। कहा जा रहा है कि अब इस इलाके में 800 से भी कम तापानुली ओरंगुटान बचे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संरक्षण वैज्ञानिक एरिक मीजार्ड कहते हैं कि अगर ऐसे ही तापानुली ओरंगुटान का शिकार होता रहा, तो इनकी प्रजाति जल्द ही खत्म हो जाएगी। उनका मानना है कि अगले 10 से 15 सालों में धरती से तापानुली ओरंगुटान खत्म हो जाएंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, तापानुली ओरंगुटान के अचानक से खत्म होने का खतरा इसलिए भी बढ़ गया है, क्योंकि बटांग तोरू नदी के ऊपर एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट बन रहा है। यह पावर प्लांट करीब 300 एकड़ में बन रहा है। कहा जा रहा है कि इससे ओरंगुटान की टोलियों का आपस में मिलना-जुलना बंद हो जाएगा, जिसका असर उनके प्रजनन पर भी पड़ेगा। इससे उनकी संख्या तो बढ़ेगी ही नहीं और ये जीव विलुप्ति की कगार पर पहुंच जाएंगे। हालांकि पावर प्लांट का दावा है कि उनकी वजह से बंदरों की इस प्रजाति पर कोई खतरा नहीं आएगा।
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