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रात के अंधेरे में जुगनुओं को उड़ते देख हर कोई रोमांचित हो जाता है
रात के अंधेरे में जुगनुओं को उड़ते देख हर कोई रोमांचित हो जाता है। वैसे शहरों में तो ये बहुत कम दिखआई देते हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इनकी संख्या काफी है। हालांकि, अब गांवों में भी जुगनू धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। आपने कभी ये सोचा है कि जुगनू रात में क्यों चमकते हैं? आज हम आपको इस लेख के माध्यम से ये बताएंगे कि जुगनू रात में क्यों और कैसे चमकते हैं।
दरअसल, जुगनुओं के चमकने के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य अपने साथी यानी मादा जुगनुओं को आकर्षित करना और अपने लिए भोजन तलाशना होता है। जुगनूओं की चमक तीन तरह के रंग की होती है- हरा, पीला और लाल। मादा जुगनू जंगलों में पेड़ों की छाल में अपने अंडे देती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जुगनूओं के अंडे भी चमकते हैं।
अगर आपको जुगनुओं के बारे में जानकारी ना हो, तो आप पहचान नहीं सकते हैं कि वो जुगनू मादा है या नर। आपको बता दें कि मादा जुगनुओं के पंख नहीं होते हैं, इसलिए वो एक ही जगह पर चमकती हैं, जबकि नर जुगनूओं के दो पंख होते हैं, इसलिए वो उड़ते हुए चमकते हैं।
वैसे तो भारत में भी काफी संख्या में जुगनू पाए जाते हैं, लेकिन अधिक रोशनी से चमकने वाले जुगनू अधिकतर वेस्टइंडीज और दक्षिणी अमेरिका में पाए जाते हैं।
जुगनूओं की खोज वर्ष 1667 में रॉबर्ट बायल नाम के एक वैज्ञानिक ने की थी। पहले यह माना जाता था कि जुगनुओं के शरीर में फास्फोरस होता है और इसी की वजह से ये चमकते रहते हैं, लेकिन बाद में वैज्ञानिकों ने इस बात को नकार दिया। इतालवी वैज्ञानिक स्पेलेंजानी ने 1794 में ये साबित किया कि बताया कि जुगनू फास्फोरस की वजह से नहीं बल्कि ल्युसिफेरेस नामक प्रोटीनों के कारण चमकते हैं। ये प्रोटीन मुख्य रूप से पाचन से संबंधित है।
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