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इंसानी हड्डियों से बनी हैं ये सड़क, जानें इसके पीछे क्या है राज़

Triveni
27 Nov 2020 9:35 AM GMT
इंसानी हड्डियों से बनी हैं ये सड़क, जानें इसके पीछे क्या है राज़
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दुनिया में कई जगह ऐसी हैं. जिन्हें उनके खूबसूरती और खासियत से ज्यादा उनके पीछे के निर्माण और कई रहस्यमई कारणों की वजह से जाना जाता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दुनिया में कई जगह ऐसी हैं. जिन्हें उनके खूबसूरती और खासियत से ज्यादा उनके पीछे के निर्माण और कई रहस्यमई कारणों की वजह से जाना जाता है. जैसे की दुनिया के सात अजूबों में से एक ताज महल को जहां एक तरफ उसकी खूबसूरती की वजह से जाना जाता है. वहीं दूसरी तरफ ताज महल इस वजह से भी प्रसिद्ध है कि उसे बनाने के बाद शाहजहां ने उसे बनाने वाले कारीगरों के हाथ काट दिए थे. ताकि कोई दूसरा ताजमहल ना बन सके. ऐसे में एक और जगह ऐसी है जो ऐसे ही किसी कारण की वजह से कुखयात है. तो आपको बता दें रूस के पूर्वी इलाके में मौजूद 2,025 किमी लंबा कोलयमा हाइवे दुनियाभर में एक बार फिर से सुर्खियों में है. रूस के इरकुटस्क इलाके के इस रोड में एक बार फिर से इंसानी हड्डियां और कंकाल मिले हैं. सड़क के अंदर से इंसानी हड्डियां निकलने के बाद स्थानीय पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है. आइए अब आपको बताते हैं हड्डियों की सड़क के नाम से मशहूर इस हाइवे की दिल दहला देने वाली कहानी.

ठंड के मौसम में बर्फ से जम जाने वाले इस इलाके में सड़क पर गाड़‍ियां न फिसलें, इसके लिए इंसानी हड्डियों को बालू के साथ मिलाकर उसके ऊपर डाला गया है. स्टािलिन के समय में बनाए गए इस हाइवे के निर्माण की कहानी बहुत ही डरावनी है. जिसमें ढाई लाख से लेकर 10 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. यह हाइवे पश्चिम में निझने बेस्टसयाख को पूर्व में मगडान से जोड़ता है. एक समय में कोलयमा तक केवल समुद्र या प्लेन के जरिए ही पहुंचा जा सकता था. लेकिन वर्ष 1930 के दशक में सोवियत संघ में स्टाुलिन के तानशाही के दौरान इस हाइवे निर्माण शुरू हुआ. इस दौरान सेववोस्त लाग मजदूर शिविर के बंधुआ मजदूरों और कैदियों की मदद से वर्ष 1932 में इसका निर्माण शुरू हुआ.

इस हाइवे को बनाने में गुलग के 10 लाख कैदियों और बंधुआ मजदूरों का इस्तेकमाल किया गया. इन कैदियों में साधारण दोषी और राजनीतिक अपराध के दोषी दोनों ही तरह के लोग शामिल थे. इनमें से कई ऐसे कैदी भी थे जो सोवियत संघ के बेहतरीन वैज्ञानिक भी थे. इनमें रॉकेट वैज्ञानिक जैसे लोग भी थे. जो इस कैद के दौरान जिंदा रहे और उन्हों ने वर्ष 1961 में रूस को अंतरिक्ष में पहला इंसान भेजने में मदद की. इन्हीं कैदियों में महान कवि वरलम शलमोव भी थे जिन्होंने कोलयमा कैंप में 15 जेल की सजा काटी. उन्हों ने इस कैंप के बारे में लिखा था, 'वहां पर कुत्ते और भालू थे जो इंसान से ज्या‍दा बुद्धिमानी और नैत‍िकता के साथ व्यवहार करते थे. उन्हों ने अपनी किताब में लिखा था, लम्बे समय तक खतरनाक तरीके से काम, ठंड, भूख और पिटाई के बाद जानवर बन जाता था.

कोलयमा के पास 10 साल तक जेल की सजा काटने वाली 93 साल की एंटोनीना नोवोसाद कहती हैं कि सड़क को बना रहे कैदियों को कटीले तार के दूसरी ओर गिरे बेरी के दाने इकट्ठा करने पर उन्हें गोली मार दी जाती थी. मरे हुए कैदियों को वहीं सड़क के अंदर ही दफन कर दिया जाता था. इस इलाके में भेजे जाने वाले कैदियों के वापस लौटने के केवाल 20 प्रतिशत चांस था. जो लोग इस शिविर से भागते भी थे, वे केवल 2 हफ़्तों तक ही जिंदा रह पाते थे. इस दौरान या तो वे ठंड से मर जाते थे या भालू के हमले से या फिर भूख से मर जाते थे.

तो ऐसा कर के इस सड़क को बनाने में करीब 10 लाख कोगों ने अपने प्राणों की होती दी है. जिसका प्रमाण आज तक मिल रहा है. तो ये थी रूस की हडियों वाली सड़क की कहानी. तो आपको ये खबर किसी लगी हमें कमेंट सेक्शन में लिख कर जरूर बताएं.

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