जरा हटके

दिन में आधा घंटा कुत्तों की तरह दौड़ लगाता है ये शख्स, जानें वजह

Ritisha Jaiswal
10 July 2022 11:18 AM GMT
दिन में आधा घंटा  कुत्तों की तरह दौड़ लगाता है ये शख्स, जानें वजह
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इंसानों और जानवरों में जो एक बेसिक फर्क होता है, वो ये है कि इंसान खुद को बैलेंस करके 2 पैरों पर चलते हैं और हाथों का इस्तेमाल दूसरे कामों के लिए करते हैं.

इंसानों और जानवरों में जो एक बेसिक फर्क होता है, वो ये है कि इंसान खुद को बैलेंस करके 2 पैरों पर चलते हैं और हाथों का इस्तेमाल दूसरे कामों के लिए करते हैं. वहीं जानवर चलने-फिरने और भागने के लिए चार पैरों का सहारा लेते हैं. अमेरिका में रहने वाले नैथेनील नोलन (Nathaniel Nolan) इंसान होते हुए भी हर दिन 30 मिनट के लिए कुत्तों की तरह हाथ और पैर का इस्तेमाल करके (Man Runs 30 Minutes Everyday Like Dogs) दौड़ते हैं.

हर दिन करीब 30 मिनट तक कुत्तों की तरह हाथ-पैरों का इस्तेमाल करके दौड़ लगाने वाले नैथेनील नोलन (Nathaniel Nolan) की इस प्रैक्टिस के बारे में हर कोई जानना चाहता है. पेशे से फिटनेस ट्रेनर नैथनील अपनी इस प्रैक्टिस के पीछे जो वजह बताते हैं, वो दंग करने वाली है. कम से कम एक बार में तो कोई भी इस बात से कंविंस नहीं होगा कि कुत्तों की तरह दौड़ने से उसकी बॉडी बन सकती है.
पिछले साल से लगा अजीबोगरीब चस्का
मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक 31 साल के नैथेनील नोलन (Nathaniel Nolan) को पिछले साल से डॉग्स की तरह रेस करने का चस्का लगा. वो कुत्तों की तरह धीरे-धीरे चलने, दौड़ने और आईव्यू बैलेंस करने की प्रैक्टिस करते हैं. रोज़ाना वे अपने गार्डेन की घास पर कुत्तों की तरह दौड़ते हैं और भी दीवार पर चढ़कर लिविंग रूम तक जाते हैं. पर्सनल ट्रेनर के तौर पर काम करने वाले नील आधे घंटे तक ऐसा करते हैं और उनका कहना है कि इससे उनकी फिटनेस पर चमत्कारी असर हुआ है. वे दूसरे लोगों को भी ऐसा करने की सलाह दे रहे हैं.
दुनिया क्या सोचती है, इससे नहीं पड़ता असर
नैथेनील का कहना है कि लोग उनसे पूछते हैं कि उन्हें डॉग्स की तरह चलता देखकर लोग क्या सोचते हैं? इस पर उनका कहना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. यहां तक कि पार्क में अगर आप थोड़ी देर ऐसा करते हैं तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. नैथेनील का कहना है कि वे जोड़ों में दर्द की समस्या की वजह से भारी एक्सरसाइज़ नहीं कर पाते थे और इस तरह की रनिंग और चाल ने उन्हें काफी राहत दी है. इससे किसी को भी फायदा हो सकता है. यहां तक कि वे इससे जुड़ा एक एक्सरसाइज़ प्रोग्राम शुरू करने की भी सोच रहे हैं.


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