महाराजा भूपिंदर सिंह पटियाला राजघराना के ऐसे राजा थे, जिनको लेकर कई सारे किस्से मशहूर हैं। वो भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी थे। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को खड़ा करने में महाराजा ने काफी पैसे खर्च किए। इसके अलावा 40 के दशक तक जब भी भारतीय टीम विदेश जाती थी, तो अमूमन उसका खर्च वो उठाया करते थे। हालांकि, इसके एवज में वो टीम के कप्तान भी बनाए जाते थे।
10 रानियां और 88 बच्चे
दीवान जर्मनी दास ने अपनी किताब "महाराजा" में महाराजा भूपिंदर सिंह के बारे में विस्तार से लिखा है। महाराजा भूपिंदर सिंह की 10 रानियां और 88 वैध संतानें थीं। महाराजा के शानोशौकत के चर्चे दुनियाभर में फैले थे। साल 1935 में बर्लिन के दौरे पर उनकी मुलाकात हिटलर से हु। कहा जाता है कि महाराजा भूपिंदर सिंह से हिटलर इतने प्रभावित हो गए कि अपनी मेबैक कार राजा को तोहफे में दे दी। हिटलर और महाराजा के बीच दोस्ती काफी लंबे समय तक रही
सबसे महंगा हीरों का हार
महाराजा भूपिंदर सिंह के ठाठ के एक से बढ़कर एक उदाहरण हैं। साल 1929 में महाराजा ने कीमती नग, हीरों और आभूषणों से भरा संदूक पेरिस के जौहरी को भेजा। लगभग 3 साल की कारीगरी के बाद जौहरी ने एक ऐसा हार तैयार किया, जो काफी चर्चा में रही। यह हार उस समय देश के सबसे महंगे आभूषणों में से एक था।
क्रिकेट के प्रति प्यार
पटियाला के महाराजा को क्रिकेट से काफी लगाव था। बीसीसीआई के गठन के समय तो उन्होंने बड़ा आर्थिक योगदान तो दिया ही, बाद में भी वो बोर्ड की हमेशा मदद करते रहे। मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम का एक हिस्सा भी महाराजा के योगदान से बना था।