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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Richest Village: क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा भी गांव है जहां हर आदमी के बैंक में 1 करोड़ रुपये है. ये मानना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि आमतौर पर लोग गांव का नाम सुनते ही सबसे पहले कच्चे मकान, झोपड़ा और कच्ची सड़कों के बारे में ही सोचते हैं. लेकिन यहां ऐसा नहीं है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं चीन के Jiangsu Province में स्थित Huaxi गांव की. कुछ समय पहले तक इस गांव को चीन का Richest Village कहा जाता था. इसके पीछे की वजह Huaxi गांव में मौजूद सुख-सुविधाओं की भरमार है. इस गांव के सामने बड़े से बड़ा शहर भी फीका लगने लगता है. वहीं बात अगर यहां के लोगों की इनकम की करें तो वो भी चौंका देने वाली है.
लाखों में इनकम
इस गांव के लगभग 2,000 निवासी है. जिनमें से प्रत्येक के पास बैंक में एक मिलियन युआन यानी 1 करोड़ 10 लाख रुपये से अधिक रुपये मौजूद है. यहां हर किसी के पास विला है और लक्जरी कार भी है. इस गांव में रहने वाले लगभग हर शख्स की सालाना इनकम 15 लाख रुपये के करीब थी. एक समय था जब Huaxi गांव को 'समाजवादी अर्थव्यवस्था' के आदर्श उदाहरण के रूप में दर्शाया जाता था. समृद्धि और विलासिता की वजह से इस गांव को 'चीन का सबसे अमीर गांव' माना जाता था.
एक आइडिया जिसने बनाया सबसे अमीर गांव
Huaxi एक कृषि प्रधान गांव है. लेकिन यहां के किसानों के एक आइडिया ने इसे 'दुनिया के सबसे अमीर गांवों' में से एक कर दिया. 60 के दशक में जब ये गांव बसाया गया था, तब ये इतना विकसित नहीं था. लेकिन बाद में कम्युनिस्ट पार्टी के नेता वू रेनवाओ ने इस गांव की सूरत ही बदल दी. यहां का हर किसान टुकड़ों के बजाय ग्रुप में खेती करने लगा. जिस कारण लोगों को जबरदस्त फायदा हुआ. इसके अलावा यहां के लोगों ने लौह और इस्पात उद्योग को विकसित किया. जिसने इस गांव का ओर विकास किया.
2008 के बाद से आई गिरावट
हालांकि साल 2008 के बाद से इस गांव में इस्पात उद्योग में गिरावट आई और अधिक उत्पादन एक समस्या बन गई. धीरे-धीरे ये समस्या बढ़ती गई. जिस कारण Huaxi गांव 465 करोड़ के कर्ज में आ गया. फिर 2013 में Huaxi के निर्माता वू रेनवाओ के निधन के बाद, उनके बेटे वू जिएन ने Huaxi ग्रुप के सीईओ के रूप में पदभार संभाला. इनके पद संभालने के बाद से आलोचकों का कहना है कि ये गांव अब 'एक परिवार द्वारा शासित एक सामंती दुनिया' बन गया है. फिलहाल, Huaxi गांव की हालत ये है कि इसकी आर्थिक मदद के लिए सरकारी सहायता दी जा रही है.
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