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ये है अनोखा गांव, जहां रहने वाले लोग नहीं बनाते दो मंजिला घर, जानिए रहस्य राज

Rani Sahu
5 Jan 2022 5:46 PM GMT
ये है अनोखा गांव, जहां रहने वाले लोग नहीं बनाते दो मंजिला घर, जानिए रहस्य राज
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भारत को गांवों का देश कहा जाता है. यहाँ की लगभग दो तिहाई जनसंख्या गांवों में रहती है

भारत को गांवों का देश कहा जाता है. यहाँ की लगभग दो तिहाई जनसंख्या गांवों में रहती है. शायद इसलिए ही कहा जाता है कि भारत की आत्मा गांव में बसती है. यहां हर गांव की कहानी अलग है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने भारत में एक ऐसा गांव भी है जहां लोग आज भी घर की दूसरी मंजिल बनाने से डरते हैं. जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा आपने हम बात कर रहे हैं चूरू जिले के सरदारशहर तहसील के उडसर गांव के बारे में, जहां पिछले 700 साल से किसी ने बहुमंजिला तो दूर दो मंजिला मकान भी नहीं बनवाया है.

इसे आप यहां रहने वाले लोगों का भय कहें या फिर आस्था, लेकिन हकीकत यह है कि करीब 700 साल से इस गांव में ग्रामीणों ने अपने घर में दूसरी मंजिल बनवाने की सोची तक नहीं. यहां के ग्रामीणों का मानना है कि पूरा गांव एक शाप का दंश झेल रहा है, जो घर की दूसरी मंजिल बनाएगा उसके परिवार पर भारी विपदा आ जाएगी.
इस वजह से नहीं बनाते हैं दो मंजिला मकान
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये उदसर गांव में करीब 700 साल पहले भोमिया नाम का एक व्यक्ति रहता था. एक दिन उसे गांव में चोरों के आने की जानकारी मिली, तो वह उन चोरों से मुकाबला करने लगा. लेकिन चोरों ने अपनी संख्या का लाभ उठाते हुए उसे लहूलुहान कर दिया. बचने के लिए भोमिया अपने ससुर के घर की दूसरी मंजिल पर छिप गया.
लेकिन, भोमिया के पीछे-पीछे चोर भी वहां पहुंच गए. यहां उन्होंने उसके ससुराल वालों के साथ भी मारपीट की. इसपर भोमिया फिर चोरों से भिड़ गया. लेकिन चोरों ने भोमिया का गला काट दिया. भोमिया जी अपने सिर को हाथ में लिए हुए चोरों से लड़ते रहे और लड़ते-लड़ते अपने गांव की सीमा के पास आ गए. आखिर में भोमिया जी का धड़ उड़सर गांव में गिरा, जहां भौमिया जी का मंदिर बनवाया गया है. इस घटना के बाद भोमिया जी की पत्नी ने गांव वालों को शाप दिया कि अगर कोई भी गांव में अपने घर की दूसरी मंजिल पर मकान या कमरा बनाया तो उसका सर्वनाश हो जाएगा.
उदसर गांव के लिए उस दिन के बाद से आज का दिन है कि कोई भी व्यक्ति अपने मकान की दूसरी मंजिल नहीं बनाता है. यहां तक कि नए बनने वाले मकानों में भी दूसरी मंजिल नहीं बनाई जाती है. हालांकि इस घटना का कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं है, लेकिन गांव में दूसरी मंजिल का घर ना होना इस शाप के बारे में लोगों के डर और आस्था दोनों का गवाह हैं.


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