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इस भारतीय महिला इंजीनियर ने कश्‍मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक डिजाइन किए 200 ब्रिज, क्या आपको पता है इनका नाम

Gulabi
6 March 2021 10:54 AM GMT
इस भारतीय महिला इंजीनियर ने कश्‍मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक डिजाइन किए 200 ब्रिज, क्या आपको पता है इनका नाम
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8 मार्च को दुनिया अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को सलाम करेगी

8 मार्च को दुनिया अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को सलाम करेगी. ऐसी कई महिलाएं हैं जिनके नाम आपने गाहे-बगाहे कहीं न कहीं सुने होंगे लेकिन कम ही लोगों को इस बात का इल्‍म होगा कि उन्‍होंने किस तरह से अपना एक अलग मुकाम बनाया. ऐसा ही एक नाम है शंकुतला भगत का और इन्‍होंने जो कुछ भी किया, उसके बारे में शायद ही लोगों को मालूम हो.

शंकुतला भगत भारत की पहली महिला सिविल इंजीनियर थीं और उन्‍होंने 200 से ज्‍यादा पुलों की डिजाइन तैयार की थी. ये पुल भारत में कश्‍मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैले हैं और सिर्फ इतना ही नहीं इनमें से कई तो अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी तक में है.
मॉर्डन इंजीनियरिंग की महा‍रथी
शंकुतला ए भगत को भारत में मॉर्डन इंजीनियरिंग का महारथी माना जाता है. उन्‍होंने मुंबई स्थित क्‍वाड्रीकॉन कंपनी की स्‍थापना की थी. इसी फर्म के साथ उन्‍होंने 200 पुलों का डिजाइन तैयार किया था. सन् 1953 में शंकुतला भगत, मुंबई के वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्‍टीट्यूट से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाली पहली महिला बनी थीं.
उनके पिता भी ब्रिज इंजीनियर रहे थे. शंकुतला भगत को पुलों के ढांचों पर रिसर्च करने और उन्‍हें डेवलप करने का मास्‍टर माना जाता था. पति अनिरुद्ध एस भगत के साथ मिलकर वो पूरी तरह इसी क्षेत्र से जुड़ गईं. शंकुतला भगत के पति मैकेनिकल इंजीनियर थे.
IIT बॉम्‍बे में रहीं प्रोफेसर
दोनों ने अलग-अलग तरह के पुलों के लिए मॉड्यूलर और स्‍टैंडर्ड पार्ट्स तैयार किए थे और इस दौरान कई तरह के ट्रैफिक को भी ध्‍यान में रखा गया था और यह भी कि पुल कितना भार झेल सकते हैं. क्‍वाड्रिकॉन के स्‍टील ब्रिज हिमालय के क्षेत्र में खासे लोकप्रिय हैं. यह भारत का वह क्षेत्र है जहां पर ब्रिज टेक्‍नोलॉजी का प्रयोग करना असंभव है.
सन् 1960 में शंकुतला को यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया से सिविल और स्‍ट्रक्‍चरल इंजीनियरिंग में मास्‍टर डिग्री मिली थी. इसके बाद वो आईआईटी बॉम्‍बे में सिविल इंजीनियरिंग की प्रोफेसर रहीं और साथ ही हैवी स्‍ट्रक्‍चर्स की लैबोरेट्री की मुखिया के तौर पर भी जिम्‍मेदारी निभाती गईं.
70 में आया बड़ा बदलाव
सन् 1970 में शंकुतला और उनके पति क्‍वाड्रिकॉन की शुरुआत की थी. इस कंस्‍ट्रक्‍शन फर्म को दोनों की पेटेंट प्री-फैब्रिकेटेड मॉड्यूलर डिजाइन का विशेषज्ञ माना गया. कहते हैं कि दोनों की ऑब्‍वजर्वेशन के बाद जो भी आविष्‍कार पुल निर्माण के क्षेत्र में हुए वो आज बेहद संवेदनलशील हैं.
शंकुतला भगत को सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र को बदलने का श्रेय दिया जाता है. शंकुतला भगत ने अमेरिका, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम तक कई प्रोजेक्‍ट्स को पूरा किया था. उन्‍होंने कंक्रीट के लिए सीमेंट पर रिसर्च की थी. इसके अलावा कंक्रीट एसोसिएशन ऑफ लंदन भी गईं और इंडियन रोड कांग्रेस की सदस्‍य भी रहीं.
हिमाचल में बना पहला पुल
शंकुतला भगत की फर्म क्‍वाड्रिकॉन ने सन् 1972 में हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्‍पीति में पहले पुल का निर्माण किया था. इस जगह पर दो छोटे पुलों को बस 4 माह के अंदर ही पूरा कर लिया गया था.
इसके बाद उनकी टेक्‍नोलॉजी के बारे में दुसरे राज्‍यों को पता लगना शुरू हुआ. सन् 1978 तक कंपनी ने कश्‍मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 69 पुलों का निर्माण कर डाला था. सन् 1993 में शंकुतला देवी को वीमेन ऑफ द ईयर का खिताब मिला था. साल 2012 में 79 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था.


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