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मछली के पास है GPS जैसी तकनीक
विशाल समुद्री मछली शार्क (Shark) को लेकर हुए एक शोध में चौंका देने वाली जानकारी सामने आई है. जिस तरह हमारे पास रास्ता ढूंढने के लिए जीपीएस तकनीक (GPS Technology) वाला गूगल मैप होता है और हम उसकी मदद से किसी अनजान जगह भी पहुंच जाते हैं, उसी तरह शार्क के पास भी ऐसी ही तकनीक होती है. करेंट बायोलॉजी में प्रकाशित इस रिसर्च स्टडी के अनुसार शार्क तकनीक के जरिये अपना रास्ता ढूंढ लेती है.
जर्मन वेबसाइट डॉयचे वेले ने भी इस शोध पर एक रिपोर्ट की है, जिसके अनुसार, शार्क अपना रास्ता खोजने के लिए जीपीएस नेविगेटर की तरह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल कर सकती है. इसकी मदद से शार्क एकदम सटीक रास्ता तय कर लेती है. इस रिसर्च से जुड़े मुख्य शोधकर्ता ब्रायन केलर के मुताबिक, दशकों पुराना सिद्धांत साबित करता है कि कैसे यह जीव लंबी दूरी तय करता है और सीधी रेखा में तैरते हुए अपने मूल बिंदू पर वापस आ जाता है.
शिकार के लिए शार्क इलेक्ट्रिक तरंगों का इस्तेमाल भी करती है. ऐसे तमाम कारकों से वैज्ञानिकों का सामना हुआ और उन्हें यह विश्वास करना पड़ा कि शार्क, समुद्री कछुए और कुछ अन्य प्रजातियां धरती के चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल कर सटीक रास्ता पता कर लेती है.
इस रिसर्च के अनुसार, शार्क के पास जीपीएस जैसी तकनीक है, जिसका इस्तेमाल कर हजारों किलोमीटर का सफर तय करने और फिर वापस लौट आने में सफल होती हैं. पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्रों से उन्हें लगातार पता चलता रहता है कि वे किस तरफ जा रही हैं और उसी तरह से फिर वापस अपने मूल स्थान पर आ जाती हैं.
शोधकर्ता केलर ने मेक्सिको की खाड़ी में पाई जाने वाली बोनेट हेड प्रजाति की शार्क के छोटे से परिवार के सदस्यों पर यह रिसर्च की. शोधकर्ताओं ने पाया कि वह हर साल नदी के उसी मुहाने पर वापस लौट आती हैं, जहां से गई थीं. केलर के मुताबिक, यह स्पष्ट करता है कि शार्क को उनका घर पता है और काफी दूर जाने के बावजूद वे वापस उसी जगह पर नेविगेट कर सकती हैं.
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