जरा हटके

ये जीव-जंतु भी खतरा भांपते ही गिरगिट तरह तुरंत बदल लेते हैं रंग

Gulabi
24 Dec 2021 12:19 PM GMT
ये जीव-जंतु भी खतरा भांपते ही गिरगिट तरह तुरंत बदल लेते हैं रंग
x
गिरगिट की तरह रंग बदलना जैसे मुहावरे लगभग सभी देशों और संस्कृतियों में हैं
गिरगिट की तरह रंग बदलना जैसे मुहावरे लगभग सभी देशों और संस्कृतियों में हैं. वैसे गिरगिट अकेला ऐसा जंतु नहीं, जो रंग बदलता है, बल्कि कई दूसरे जीव-जंतु भी ऐसे हैं, जो रंग बदलने में उसके भी उस्ताद हैं. रंग बदलने वाली ये सारी प्रजातियां इस बात में समान हैं कि वे शिकार से खुद को बचाने या फिर शिकार करने के लिए रंग बदलती हैं.
सीहॉर्स भी समुद्री जीवों की रंग बदलने वाली प्रजाति है. इन्हें रंग बदलने में मास्टरी है. ये न केवल डरने पर, बल्कि अपनी भावनाओं के इजहार के दौरान भी रंग बदल पाते हैं. इनमें क्रोमेटेफोर्स नामक तत्व होता है, जो इन्हें तेजी से और कई तरह का रंग बदलने में मदद करता है. शिकारी सामने हो तो सीहॉर्स कुछ सेकंड्स में रंग बदल लेते हैं, वहीं साथी से मिलन के दौरान रंग धीरे-धीरे बदलता है.
गोल्डन टॉरटॉइज बीटल ऐसा भी एक छोटा सा कीड़ा है. ये तभी रंग बदलता है, जब कोई इंसान इसे छूने की कोशिश करे. इन हालातों में ये डरकर अपना रंग बदल लेता है और आसपास की किसी चीज में घुलमिल जाता है, जैसे कोई फूल या पत्ती या फिर मिट्टी. अपने साथी से मिलते हुए इस बीटल का रंग बदलता है. वैसे ये सुनहरे रंग के होते हैं लेकिन खास हालातों में लाल चमकीले रंग के हो जाते हैं.
कई ऐसे समुद्री जीव भी हैं, जो रंग बदलने में माहिर होते हैं, इन्हीं में से एक है मिमिक ऑक्टोपस. इसे बुद्धिमान जलीय जीवों में से एक माना गया है, जो आमतौर पर प्रशांत क्षेत्र में पाए जाते हैं. ये किसी भी परिवेश में खुद को ढालने के लिए अपना रंग बदल लेते हैं. साथ ही साथ ये अपनी लचीली स्किन के कारण आकार भी बदल पाते हैं.
वैज्ञानिकों ने भी शोध किए हैं
पेसिफिक ट्री फ्रॉग भी रंग बदलने वाला एक जीव है, जो उत्तरी अमेरिका में पाया जाता है. इसके पैर काफी चिपचिपे होते हैं, जो इसे एक से दूसरे पेड़ और वातावरण में जाने में मदद करते हैं. ये मेंढ़क जैसे ही अपने आसपास कोई खतरा महसूस करता है, तो तुरंत अपना रंग ऐसे बदल लेता है कि आसपास के पेड़-पौधों में एकदम मिल जाता है. ये मौसम के मुताबिक भी रंग बदलता रहता है, जैसे गर्मी में जब पेड़ के पत्ते पीले होते हैं, ये पीला पड़ जाता है. सांप जैसे शिकारियों को देख ये मेंढ़क 1 से 2 मिनट में अपना रंग बदल लेता है.
शीशे जैसे शरीर से बना ये जीव है ग्लास स्क्विड. इसके शरीर की बनावट ऐसी होती है कि शरीर के आर-पार भी रोशनी गुजर जाती है यानी इनका शरीर पारदर्शी होता है, इसलिए ये रोशनी के प्रभाव में आकर अलग-अलग रंगों में दिखते हैं. ग्लास स्क्विड समुद्र तल से 200 से हजार मीटर की गहराई में रहते हैं. ये अपने शरीर का रंग शिकारियों को धोखा देने के लिए बदलते हैं.
फ्लाउंडर नाम की मछली भी रंग बदलने में माहिर है. ये अपने-आप में काफी अनोखी है क्योंकि इनका रंग बदलना किसी अंदरुनी अंग नहीं, बल्कि आंखों के जरिए होता है. वैसे तो ये मछली भूरे रंग की होती है लेकिन जब ये किसी दूसरे वातावरण में जाती है, जहां भूरे की बजाए किसी दूसरे रंग की बहुतायत हो, तो फ्लाउंडर की आंखें उस रंग को कैप्चर कर लेती हैं. आंखों से रंग कोशिकाओं को पहुंचाया जाता है और फिर कोशिकाएं बाहरी त्वचा को उसी रंग में ढाल लेती हैं. अगर इस मछली की आंखों को कोई नुकसान हो जाए तो ये रंग नहीं बदल पाती हैं.
यह वैज्ञानिक तरह से भी हो सकता है।
मॉन्कफिश समुद्र तल से चिपककर बिल्कुल उसके जैसी ही दिखती है. इसके अलावा इसकी त्वचा पर ऐसी डिजाइन होती है, जो किसी कीड़े जैसी दिखती है. जब कभी कोई मछली इसे कीड़ा समझकर इसकी तरफ आकर्षित होती है, तो मॉन्कफिश उसे वापस नहीं जाने देती और उसे अपना शिकार बना लेती है.
Next Story