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छह महीने तक रहेगा अंटार्कटिका में अंधेरा, डूब गया सूरज, जानिए क्या है वजह

Tara Tandi
19 May 2022 5:48 AM GMT
There will be darkness in Antarctica for six months, the sun has set, know what is the reason
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धरती पर अटार्कटिका एक ऐसी जगह है जहां की परिस्थित दूसरी जगहों से अलग है। ध्रुवीय इलाके में होने की वजह से यहां पर छह महीने तक पूरा अंधेरा रहता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। धरती पर अटार्कटिका एक ऐसी जगह है जहां की परिस्थित दूसरी जगहों से अलग है। ध्रुवीय इलाके में होने की वजह से यहां पर छह महीने तक पूरा अंधेरा रहता है। यह समय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए बेहद खास होता है। अटार्कटिका में 13 मई को सूर्य अस्त हुआ था जिसके बाद यहां पर छह महीने तक रात रहेगी। अटार्कटिका में इस दौरान कठोर और चरम वातावरण रहता है जिसमें अंतरिक्ष में जाने से पहले एस्ट्रोनॉट्स को ट्रेनिंग दी जाती है।

यूरोपीय स्पेस एजेंसी के अंतरिक्ष यात्रियों की एक टीम को अंटार्कटिका के कॉन्कॉर्डिया स्टेशन भेजा गया है। यह टीम यहां पर कई महीनों के अलगाव और अन्य चरम वातावरण में रहने की ट्रेनिंग करेगी। अंतरक्षि यात्री यहां पर कठिन परिस्थितियों में रहने की ट्रेनिंग करते हैं। इन दिनों जहां भारत के कई इलाके गर्मी की मार झेल रहे है, तो वहीं अंटार्कटिका में सर्दी के मौसम की शुरुआत होने जा रही है।
जहां पूरी दुनिया में चार तरह के मौसम होते हैं, तो वहीं अंटार्कटिका में सिर्फ दो मौसम रहते हैं। यहां पर सिर्फ सर्दी और गर्मी पड़ती है। अंटार्कटिका दुनिया का सबसे ठंडा महाद्वीप है। जहां पर छह महीने दिन रहता है और बाकी छह महीने रात।
अंटार्कटिका के कॉन्कॉर्डिया बेस पर यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की 12 सदस्यीय टीम रहेगी और वहां पर काम करेगी। यूरोपियन स्पेस एजेंसी और उससे जुड़े संस्थानों के वैज्ञानिक छह महीने तक कई तरह के शोध करेंगे। अंधेरा होने की वजह से कॉन्कॉर्डिया रिसर्च स्टेशन के आसपास माइनस 80 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंच जाता है।
स्पेस एजेंसी की तरफ से बताया गया है कि दूसरे ग्रह पर रहने लायक हालात हैं। भविष्य में कॉनकॉर्डिया स्टेशन को बाहर से और मदद नहीं मिल पाएगी। बताया गया है कि यहां पर नौ महीने का भंडार मौजूद है।
अब इन छह महीनों में अंटार्कटिका से न कोई बाहर जाएगा और न कोई यहां पर बाहर से आएगा। अब यहां कोई सामान भी नहीं जाएगा जो वहां पर मौजूद है उसी से 12 लोग अपना जीवन बीताएंगे। सर्दियां बढ़ जाने से वहां की ऊंचाई और ठंड से लोगों के दिमाग में ऑक्सीजन कम होने लगता है जिसको क्रोनिक हाइपोबेरिक हाइपोक्सिया कहा जाता है।
यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मेडिकल डॉक्टर रिसर्च स्टेशन पर सभी का ख्याल रखेंगे। उनका कहना है कि असली मिशन की शुरुआत अब होगी। अब दुनिया से 5 से 6 महीने के लिए अलग रहना पड़ेगा। रिसर्च के लिए पूरी दुनिया से अलग रहना पड़ता है। इस दौरान महसूस होता है कि किसी दूसरे ग्रह पर आ गए हैं। यहां पर 6 महीने अंधेरा रहता है और छह महीने दिन।
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