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47 किलो के ट्यूमर की सर्जरी के बाद महिला का वजन सिर्फ 49 किलो बचा है. महिला 18 साल से इस ट्यूमर को अपने साथ ढो रही थी.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Rear Tumor Surgery: गुजरात के अहमदाबाद स्थित अपोलो हॉस्पिटल में डॉक्टरों की एक टीम ने एक महिला को नया जीवनदान दिया है. डॉक्टरों ने इस महिला के पेट से ऑपरेशन कर 47 किलो का निकाला. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि ट्यूमर की वजह से महिला का वजन लगभग दोगुना हो गया था. वहीं, 47 किलो के ट्यूमर की सर्जरी के बाद महिला का वजन सिर्फ 49 किलो बचा है. महिला 18 साल से इस ट्यूमर को अपने साथ ढो रही थी.
18 साल में ट्यूमर का वजन हुआ 47 किलोग्राम
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, देवगढ़ बरिया की रहने वाली महिला पिछले 18 साल से ट्यूमर से ग्रसित थी. महिला के बेटे ने बताया कि शुरुआत में ट्यूमर उतना बड़ा नहीं था. लेकिन अचानक से इसका आकार बढ़ने लगा. लोगों को पहले लगा कि गैस की परेशानी के चलते महिला का पेट इतना फूला होगा. लेकिन साल 2004 में सोनोग्राफी की गई तो पता चला कि उनके पेट में ट्यूमर है.
महिला के बेटे ने बताया कि साल 2004 में ही उन लोगों ने मां की सर्जरी करवानी चाही थी. लेकिन तब डॉक्टरों ने बताया था कि ट्यूमर ने फेफड़े, गुर्दे, आंत समेत कई आंतरिक अंगों को जकड़ रखा था. इसलिए डॉक्टरों ने सर्जरी को जोखिम भरा मानते हुए सिर्फ उसे सिल दिया था. इसके बाद कभी कोई डॉक्टर उनकी सर्जरी के लिए राजी नहीं हुआ.
महिला के बेटे के अनुसार, कोरोना की वजह से दो साल काफी मुश्किलों भरे रहे. इस दौरान ट्यूमर का आकार दोगुना से ज्यादा हो गया. बेटे ने बताया कि उनकी मां को लगातार दर्द झेलना पड़ रहा था. वह बिस्तर से उठ भी नहीं पाती थीं. फिर उन लोगों ने अपोलो हॉस्पिटल का रुख किया. डॉक्टरों ने महिला का चेकअप कर 27 जनवरी को सर्जरी करने का फैसला किया.
खतरनाक थी सर्जरी
अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर्स बताते हैं कि महिला की सर्जरी वाकई में खतरनाक थी. डॉक्टरों के अनुसार, इतने बड़े ट्यूमर ने महिला के कई आंतरिक अंगों को प्रभावित किया था. इस कारण महिला का रक्तचाप भी बढ़ गया था. ऐसे में ट्यूमर हटाने से रक्तचाप में गिरावट का डर था. लेकिन 4 घंटे के सफल ऑपरेशन के बाद ट्यूमर निकाल लिया गया. इस काम को चार सर्जन समेत आठ डॉक्टरों की टीम ने अंजाम दिया. डॉक्टर चिराग देसाई ने बताया कि सर्जरी से पहले महिला का वजन करना भी मुश्किल था, क्योंकि वह खड़ी भी नहीं हो पा रही थी.
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