जनता से रिश्ता वेबडेस्क| त्रेता युग में जिस तरह से राजा दुष्यंत के बेटे भरत ने शेर के दांत गिन लिए थे. कलयुग में भी कुछ ऐसे ही निडर बच्चे पैदा हो जाएगे किसने सोचा होगा. ये बच्चे हैं मध्यप्रदेश के जिन्होने ऐसा काम किया है जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता. सबसे पहले तो आप समझिये कि मामला क्या है. दरअसल मंडला में पदस्थ शिक्षक प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि वे मोहनटोला इलाके में घूमने के लिए निकले थे जब उन्होंने कुछ बच्चों को बॉल की तरह दिखने वाले पत्थर से खेलते हुए देखा. शिक्षक ने बच्चों से वह पत्थर मांगा तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया लेकिन कहा कि वे उन्हें इसी तरह का दूसरा पत्थर दे सकते हैं
.इसके बाद शिक्षक बच्चों के साथ उस जगह पर गए जहां एक तालाब की खुदाई हो रही थी. वहां जाकर उन्होंने कुछ ऐसा देखा कि उनके होश उड़ गए. तालाब के पास उन्होंने हूबहू वैसे ही 7 गेंदें देखी जिनसे बच्चे खेल रहे थे.लेकिन भला गेंद को देखकर किसी के होश कैसे उड़ सकते हैं, आखिर ऐसा क्या था उस गेंद में.ये खबर जब हम तक पहुँची तो एक बार को हमारे भी होश उड़ गए थे. जब हमें उस तालाब के पास पडीं गेंदों के सच के बारे पता चला. तो अब हम आपको भी बताएगें कि आखिर वो चीज थी क्या, जिसके लिए शिक्षक उन बच्चों से उनकी खेलने वाली गेंद मांग रहा था. सच जानकर भी आपको अपने कानों पर यकीन नहीं होगा.
क्योंकि एक बार को तो हमें भी उन सात गेंदों की हकीकत जानकर यकीन नहीं हुआ था. दरअसल बच्चे जिन गेंदों के साथ खेल रहे थे वो गेंद थी ही नहीं बल्कि कुछ और था.इसलिए तो शिक्षक ने जब बच्चों को उस गेंद से खेलते हुए देखा तो उस गेंद को बच्चे से मांगने के लिए उतारू हो गए थे क्योंकि शिक्षक को पहली नजर में ही पता चल गया था ये गेंद नहीं कुछ और है और सच में हुआ भी ऐसा. बच्चे जिसे गेंद समझकर खेल रहे थे वो गेंद नहीं बल्कि डायनासोर का अंडा था वो भी 6 करोड़ साल पुराना. जी हां 6 करोड़ साल पुराना अंड़ा वो भी डायनासोर का.शिक्षक ने बताया कि पहली बार देखकर ही उन्हें अंदाजा हो गया था कि ये जीवाश्म हैं. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के भूविज्ञानी प्रोफेसर पी के कथल ने इन बॉल्स का अध्ययन कर इनके जीवाश्म होने का दावा किया है. कथल ने कहा है कि जीवाश्म करीब 6.5 करोड़ साल पुराने हैं औक डायनासोर की ऐसी प्रजाति के हैं जो भारत में अब तक नहीं मिला. जिस उम्र में बच्चे छिपकली देखकर डर जाते हैं उसी उम्र में ये बच्चे डायनासोर के अंडे के साथ बिना डरे खेल रहे थे. इन गेंदो का वजन 2 किलो 600 ग्राम बताया जा रहा है.
जीवाश्म की तलाश करने वाले शिक्षक प्रशांत श्रीवास्तव के लिए यह सपने सच होने जैसा है. उन्होंने बताया कि वे छात्रों को साइंस पढ़ाते हैं और बचपन से ही जीवाश्मों में उन्हें रुचि है. बॉल मिलते ही उन्होंने उसे म्यूजियम में रखा और मंडला के कलेक्टर सहित शिक्षाविदों से संपर्क किया. इसके बाद प्रोफेसर कथल के रिसर्च के आधार पर उसके डायनासोर का अंडा होने की पुष्टि की गई.