जरा हटके

इस दुर्लभ पेड़ से निकलने वाला अनोखा तरल पदार्थ पलभर में ले सकता है जान, यह बेहद खतरनाक साबित...

Triveni
27 April 2021 3:19 AM GMT
इस दुर्लभ पेड़ से निकलने वाला अनोखा तरल पदार्थ पलभर में ले सकता है जान, यह बेहद खतरनाक साबित...
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दुनियाभर में कई ऐसी कमाल की चीजें हैं, जिन्हें देखने के बाद हमें अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं होता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दुनियाभर में कई ऐसी कमाल की चीजें हैं, जिन्हें देखने के बाद हमें अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं होता है. हम सभी ने कभी न कभी ऐसे पेड़ों के बारे में पढ़ा है जिसे काटने पर उसमें से अजीब तरल पदार्थ निकलता है. इन दिनों फिर से एक ऐसा ही पेड़ वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है. दक्षिण प्रशांत में न्यू कैलेडोनिया के द्वीप पर उगने वाले वर्षावन पेड़ से कुछ ऐसा निकला जो चर्चा का विषय बन गया.

एक रिपोर्ट के मुताबिक द्वीप पर मौजूद पेड़ को काटने पर उसमें से ऐसा तरल बाहर निकलता है जो कि बेहद जहरीला भी बताया जा रहा है. Pycnandra acuminata नाम के इस पेड़ की छाल को छिलने पर उसमें से चमकदार तरल निकलता है. इससे निकलने वाले अनोखे तरल में 25 फीसदी धातु मौजूद है. पेड़ से निकलने वाले इस तरल की छोटी मात्रा भी दूसरे पेड़ों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है.
ये धरती से अत्यधिक प्रदूषक अवशोषित करते है
इस तरल को हाइपरएक्यूमुलेटर्स कहा जाता है. हाइपर-एक्यूमुलेटर एक तरह की धातु है, यह धातु ऐसे पेड़-पौधे मे मिलती है जो अपनी विशेष रचना के कारण धरती से अत्यधिक प्रदूषक अवशोषित करते है. एक खास बात ये कि अगर इस तरह के पेड़ को सुखाकर ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाए तो यह कम प्रदूषण पैदा करता है. इससे उच्च श्रेणी के धातु अयस्क भी प्राप्त किए जा सकते हैं.
क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता डॉ. एंटनी वैन डेर एनट ने कहा कि न्यू कैलेडोनिया में पाइकेनेंड्रा एक्यूमिनटा एक बड़ा दुर्लभ वर्षावन वृक्ष है. डॉ. एंटनी के अनुसार सामान्य पौधों की प्रजातियों की तुलना में हाइपरसैकुम्युलेटर्स 100-1000 गुना अधिक प्रदूषकों को अवशोषित कर सकते है. लेकिन इनके बढ़ने की रफ्तार धीमी होती है इसलिए इन पर टेस्ट और शोध करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है.
आपको बता दें कि इस पेड़ को फूल और बीज पैदा करने में दशकों का समय लगता है. जंगल की आग और पेड़ों की लगातार हो रही कटाई की वजह से इस तरह के दुर्लभ पेड़ों का अस्तित्व खतरे में है. फिलहाल वैज्ञानिक यह पता लगाने की मशक्कत कर रहे हैं कि ये पौधे इस तरह से क्यों विकसित हुए हैं. एक अनुमान ये भी लगाया जा रहा है कि इन्होंने कीट के हमले से बचने के लिए खुद को परिस्थितियों के मुताबिक ढाल लिया होगा.



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