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शख्स ने परिवारों के नाम व जगह को छोड़ कर छपवाई ऐसी चीज, जिसे पढ़ने हैरत में पड़े मेहमान

Ritisha Jaiswal
25 Jan 2022 2:50 PM GMT
शख्स ने परिवारों के नाम व जगह को छोड़ कर छपवाई ऐसी चीज, जिसे पढ़ने हैरत में पड़े मेहमान
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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ किसान विरोध प्रदर्शन खत्म होने के एक महीने से अधिक समय के बाद

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ किसान विरोध प्रदर्शन खत्म होने के एक महीने से अधिक समय के बाद, हरियाणा के एक व्यक्ति ने अपनी शादी से दो सप्ताह पहले 1500 विवाह कार्ड प्रिंट करवाया. जिसमें उसने केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध का एक अनूठा तरीका चुना. उसने फसल उपज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाले कानून की मांग की.

9 फरवरी को शादी के लिए छपवाए 1500 कार्ड
हरियाणा के भिवानी जिले के रहने वाले प्रदीप कालीरामना 9 फरवरी को शादी कर रहे हैं. उन्होंने 1,500 शादी के कार्ड छपवाए हैं. अपनी शादी के कार्ड के ऊपर 'जंग अभी जारी है, एमएसपी की बारी है' लिखा. इसके अलावा, शादी के कार्ड पर एक 'ट्रैक्टर' और 'नो फार्मर्स, नो फूड' को दर्शाने वाला एक साइनबोर्ड भी प्रदर्शित किया गया है.
शादी के कार्ड के जरिए दिया ऐसा मैसेज
प्रदीप ने कहा, 'मैं अपनी शादी के कार्ड के माध्यम से यह संदेश देना चाहता हूं कि किसानों के विरोध की जीत अभी पूरी नहीं हुई है. किसानों की जीत तभी घोषित की जाएगी जब केंद्र सरकार गारंटी देने वाले एमएसपी अधिनियम के तहत एक कानून किसानों को लिखित में देगी. एमएसपी पर कानून के बिना, किसानों के पास कुछ भी नहीं है और किसानों की शहादत और उनके बलिदान भी तभी पूरे होंगे जब एमएसपी पर कानूनी गारंटी होगी.'
उन्होंने कहा, 'किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान, मैं दिल्ली की सीमाओं पर गया और विभिन्न विरोध स्थलों पर बैठे अन्य सभी किसानों को भी अपना समर्थन दिया. यही कारण है कि मैंने एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग करते हुए 1500 शादी के कार्ड छपवाए.'
किसान का आंदोलन 13 महीने तक दिल्ली की सीमाओं पर चला
दरअसल कृषि कानून 5 जून, 2020 को केंद्र सरकार ने तीन कृषि विधेयकों को संसद के पटल पर रखा और 20 सितंबर को लोकसभा के बाद इसे राज्यसभा में पारित किया गया था. वहीं कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुआ यह आंदोलन 13 महीने तक दिल्ली की सीमाओं पर चला, आखिर में सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिया था, इसके बाद किसानों की अन्य मांगों पर किसानों और सरकार के साथ समझौता भी हुआ.



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