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गांव में घुसकर तबाही मचाने वाले हाथी को लोगों ने बना लिया अपना खाना, खबर सुनकर हर कोई हैरान

Gulabi
22 May 2021 6:09 AM GMT
गांव में घुसकर तबाही मचाने वाले हाथी को लोगों ने बना लिया अपना खाना, खबर सुनकर हर कोई हैरान
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हाथी को लोगों ने बना लिया अपना खाना

जंगली जानवरों की अपनी अलग दुनिया होती है, जिसमें वो किसी इंसान की दखलअंदाजी बिलकुल पसंद नहीं करते हैं. लेकिन इसके बावजूद इंसान जानवरों के साथ इतनी अमानवीय हरकत करते हैं कि इंसानियत भी शर्मसार हो जाती है. इन दिनों दुनियाभर में एक ऐसी ही खबर सुर्खियां बटोर रही है, जिसके बारे में सुनकर लोगों का इंसानियत से भरोसा ही उठ जाएगा. पश्चिमी अफ्रीका में एक हाथी पर लोगों को इतना ज्यादा गुस्से आया कि वो उसे मारकर ही खा गए.

एक रिपोर्ट के मुताबिक ये हाथी पश्चिमी अफ्रीका में बेनिन के नेशनल वाइल्ड लाइफ पार्क से भाग गया था और नेशनल पार्क से भागने के बाद कांदी नाम के क्षेत्र में घूम रहा था. ये हाथी मार्च के महीने से ही इस क्षेत्र के आसपास के गांवों में काफी आता-जाता था. इस हाथी ने सबसे पहले एक महिला को अपना निशाना बनाया था. इसके बाद उसने गांव के कई लोगों को घायल भी किया था. इसके बाद से ही स्थानीय लोग इस हाथी को लेकर काफी ज्यादा गुस्से में थे.
हालांकि इस वाकये से पहले कई लोगों ने इस हाथी नेशनल पार्क भेजने की गुजारिश अधिकारियों से की थी. लेकिन उनकी इस अर्जी पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया था. इसके एक महीने बाद इसने सोनसोरो नाम के क्षेत्र में दो लोगों को मार डाला था. जिसके बाद से ही प्रशासन गंभीर हुआ और दक्षिण अफ्रीका के एनजीओ अफ्रीकन पार्क रेंजर्स ने इस हाथी की खोजने के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया.
इसी बीच 27 अप्रैल को रेंजर्स ने बताया कि इस हाथी को मारा जा चुका है. इसके बाद कर्मचारियों ने इस हाथी की चीर-फाड़ की और इसके मीट को स्थानीय लोगों में बांट दिया था. रिपोर्ट्स के अनुसार, रेंजर्स को ना चाहते हुए भी इस हाथी को मारना पड़ा क्योंकि ये स्थानीय लोगों के लिए काफी बड़ा खतरा बन चुका था. फॉरेस्ट्री कैप्टन डेविड आयेगनन ने कहा कि इस हाथी को अलीबोरी नदी के पास मारा गया था.
कैप्टन ने कहा कि हम रेंजर्स का काम पर्यावरण को बचाना होता है लेकिन हम स्थानीय लोगों की वजह से काफी दबाव में आ गए थे. हमारी जानवरों को मारने में कोई दिलचस्पी नहीं है. मगर ये हाथी इतना हिंसक हो चुका था कि इसे वापस पार्क में भेजने में काफी दिक्कतें पेश आ रही थीं. इसके अलावा उसे ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी उपलब्ध नहीं थी. इसलिए मजबूरन हमें ये काम करना पड़ा.
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