जरा हटके

रोज तय कर रहें हैं भविष्य का सफर, गया में 'शिक्षा एक्सप्रेस ट्रेन' से बढ़ी बच्चों की उपस्थिति

Manish Sahu
27 July 2023 1:37 PM GMT
रोज तय कर रहें हैं भविष्य का सफर, गया में शिक्षा एक्सप्रेस ट्रेन से बढ़ी बच्चों की उपस्थिति
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जरा हटके: आपने अभी तक एरोड्राम से हवाई जहाज को उड़ते और लैंड करते देखा होगा. लेकिन गया एयरपोर्ट के पास पिछले 2 महीने से शिक्षा एक्सप्रेस नामक ट्रेन खड़ी है. इस ट्रेन में बुजुर्ग, महिलाएं या युवा नहीं बल्कि छोटे-छोटे बच्चे बैठते हैं और भविष्य का सफर तय कर रहे हैं. दरअसल, गया एयरपोर्ट के पास स्थित प्राथमिक विद्यालय एरोड्रम के दीवारों का शक्ल हुबहू ट्रेन के रूप में दी गई है. जिसका नाम शिक्षा एक्सप्रेस और स्टेशन का नाम प्राथमिक विद्यालय रेलवे स्टेशन एरोड्राम रखा गया है.
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बच्चों की बढ़ी उपस्थिति
बता दें कि यह स्कूल महादलित बच्चों के लिए खोला गया है. जिसमें 1-5 कक्षा तक के बच्चों की यहां पढ़ाई होती है. विद्यालय में 2 शिक्षक के अलावा 1 टोला सेवक पदस्थापित है और इस विद्यालय में मात्र 2 क्लासरूम है. स्कूल के दीवारों का शक्ल ट्रेन जैसा बनाने के पीछे स्कूल के शिक्षकों का उद्देश्य था कि बच्चे ट्रेन को देखकर आकर्षित हो और रोजाना स्कूल आए.
इस विद्यालय में कुल 45 बच्चों का नामांकन है. ट्रेन बनने के बाद रोजाना 35 से 40 बच्चे स्कूल आते हैं. इससे पूर्व बच्चे स्कूल आने में आनाकानी करते थे. लेकिन शिक्षकों के प्रयास के कारण एरोड्रम के पास स्थित महादलित बस्ती के बच्चे रोजाना स्कूल पहुंच रहे हैं. शिक्षा एक्सप्रेस ट्रेन में बैठकर अपने भविष्य की सफर तय कर रहे हैं.
स्कूल के अधिकांश बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने कभी ट्रेन नहीं देखी
जब लोकल 18 स्कूल के बच्चों से बात की तो बच्चों ने बताया कि ट्रेन बनने के बाद स्कूल काफी सुंदर दिखता है. पहले बहुत से बच्चे नहीं आ पाते थे, वह रोजाना स्कूल आ रहे हैं. स्कूल के अधिकांश बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने कभी ट्रेन नहीं देखे थे. लेकिन स्कूल में ट्रेन देखकर काफी उत्साहित रहते हैं.
शिक्षा एक्सप्रेस नामक ट्रेन में रोजाना सफर करने पहुंचते हैं. विद्यालय के प्रधान शिक्षक मुंगेश्वरी राम मांझी बताते हैं कि 2 महीने पहले स्कूल के दीवारों को ट्रेन का शक्ल दिया गया है, ताकि बच्चे स्कूल के प्रति आकर्षित हो. वह रोजाना स्कूल पहुंचे. ट्रेन बनने के बाद बच्चों की उपस्थिति बढी है और रोजाना लगभग 40 बच्चे स्कूल आते हैं.
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