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बताते हैं कई बार वैज्ञानिक और पुरातत्व विशेषज्ञों ने मंदिर से गिरने वाली बूंदों की पड़ताल की.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बताते हैं कई बार वैज्ञानिक और पुरातत्व विशेषज्ञों ने मंदिर से गिरने वाली बूंदों की पड़ताल की. लेकिन, सदियां बीत गई हैं इस रहस्य को, आज तक किसी को नहीं पता चल सका कि आखिर मंदिर की छत से टपकने वाली बूंदों का राज क्या है.
कहा जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 5 हजार साल पुराना है. इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं. इनके अलावा मंदिर में पद्मनाभम की भी मूर्ति स्थापित है.
स्थानीय निवासियों के अनुसार सालों से वह मंदिर की छत से टपकने वाली बूंदों से ही मानसून के आने का पता करते हैं. कहते हैं कि इस मंदिर की छत से टपकने वाली बूंदों के हिसाब से ही बारिश भी होती है.
इस मंदिर के गुंबद से जब बूंदे कम गिरीं तो यह माना जाता है बारिश भी कम होगी. इसके उलट अगर ज्यादा तेज और देर तक बूंदे गिरीं तो यह माना जाता है कि बारिश भी खूब होगी. मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस बार बारिश कम होगी. क्योंकि दो दिन से छोटी बूंदे टपक रही हैं.
जगन्नाथ मंदिर पुरातत्व के अधीन है. जैसी रथ यात्रा पुरी उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर में निकलती है वैसे ही रथ यात्रा यहां से भी निकाली जाती है. पुरातत्व विभाग कानपुर के एक अघिकारी के मुताबिक मंदिर का जीर्णोद्धार 11वीं शताब्दी के आसपास हुआ था. मंदिर 9वीं सदी का हो सकता है.
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