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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 1895 में जर्मन वैज्ञानिक विलहेम रॉएन्टजेन (Wilhelm Roentgen) ने एक्स रे (who invented x-ray) का आविष्कार कर दुनिया को चौंका दिया था. हालांकि तब उनकी खोज को झूठ माना था. जब कुछ वक्त बाद उसकी जांच हुई तो सब दंग रह गए और समझ गए कि वो दुनिया के लिए एक बेहद बड़ा वरदान है. इसके बाद उन्हें फिजिक्स की फील्ड में नोबल प्राइज भी मिला था. मगर विलहेम के आविष्कार से ज्यादा एक लड़की ने लोगों को तब चौंकाया जब उसने दावा किया कि उसकी आंखों में एक्स रे मशीन (Girl claim to have x-ray eyes) जैसी शक्ति है और वो नंगी आंखों से इंसान के शरीर के अंदर देख सकती है.
साल 1987 में जन्मी रूस की नताशा डेमकिना (Natasha Demkina) ने सालों पहले खुद से जुड़े एक दावे से दुनियाभर को चौंका दिया था. महिला ने दावा किया था कि उसे लोगों के शरीर के अंदर (The Girl with X-ray Eyes) दिखाई देता है. यानी उसके पास एक्स-रे विजन (girl x-ray vision eyes) है जो देखने में मदद करता है. जब वो 10 साल की थी तो उसने दावा किया कि वो अपनी मां के शरीर के अंदर देख सकती हैं. धीरे-धीरे उनका नाम दुनिया में फैलने लगा. कई बार उन्हें आजमाया गया और अधिकतर बार लोगों के शरीर में झांक कर बताई गई बात सच साबित हुई. उसी दौरान जहां आम लोग इस बात को सच मानने लगे, वहीं वैज्ञानिकों ने इस दावे की सच्चाई (Reality of The Girl with X-ray Eyes) जानने के लिए इसके तह तक जाने का फैसला किया क्योंकि वो इसे सच नहीं मानते थे.
नताशा के दावे की शुरू की गई जांच
लाइव साइन्स वेबसाइट की साल 2005 की एक रिपोर्ट ने नताशा से जुड़े हर राज को खोल दिया. जब नताशा के बारे में बातें फैलने लगीं तब डिस्कवरी चैनल ने उनपर डॉक्यूमेंट्री बनाने की योजना बनाई. उस दौरान डॉक्यूमेंट्री के प्रोड्यूसर चाहते थे कि वो इस दावे की जांच जानकारों से करवाएं जिससे सच पता लग सके. यूनिवर्सिटी ऑफ ऑरिगॉन के प्रोफेसर डॉ. हायमन, यूनिवर्सिटी ऑफ हर्टफोर्डशायर के प्रोफेसर डॉ. वाइजमैन और जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के एसोशिएट एडिटर एंड्रू स्कॉलनिक ने नताशा से जुड़ी जांच की को न्यूयॉर्क में अंजाम देने की योजना बनाई.
कोल्ड रीडिंग का वैज्ञानिकों ने लगाया अंदाजा
इससे पहले नताशा अपने आप लोगों के शरीर में झांककर बताती थी कि उसने अंदर क्या-क्या देखा. तब जानकारों ने दावा किया कि नताशा कोल्ड रीडिंग करती है. यानी भविष्य देखने का दावा करने वाले ज्योतिषियों की तरह वो कई संभावनाएं बताती थी और लोग क्योंकि उसपर विश्वास कर लेते थे तो वो उसकी गलत संभावना को भी उनके सच से मिलाकर उसे सही मान लेते थे. वेबसाइट में उदाहरण के तौर पर बताया गया कि अगर नताशा किसी से कहती थी कि उनके घर में जेम्स या जॉन नाम का कोई पुरुष है तो लोग उसे परिवार की मर चुकी किसी जेन नाम की महिला से जोड़कर सोचते थे कि नताशा ने सही बोला है.
नताशा के साथ किया गया टेस्ट
लोग कहते थे कि नताशा वो सब देख लेती है जो एक्स-रे मशीन या डॉक्टर नहीं देख पाते. ऐसे में पॉस्ट मॉर्टम कर के ही इस बात की पुष्टि की जा सकती थी. मगर जिंदा इंसान के साथ ये संभव नहीं था. तब जांच करने वाली टीम ने नताशा के साथ एक टेस्ट करने का प्लान बनाया. उन्होंने 6 लोगों को चुना जिनके शरीर में कुछ ना कुछ समस्याएं थीं. उन्होंने उन समस्याओं को एक पेपर पर लिखा, उनके साथ शरीर में समस्या की जगह और उससे जुड़े चित्र बनाकर दिए और नताशा से कहा कि वो उन चित्रों के आधार पर पता लगाए कि किस शख्स से जुड़ी वो समस्याएं हैं. वैज्ञानिकों को लगा था कि जितने बड़े स्तर पर नताशा के दावे हैं, उसे वो पहेली चुटकियों में हल कर देनी चाहिए थी क्योंकि चित्रों के माध्यम से वैज्ञानिकों ने ये भी बता दिया था कि शरीर के अंदर कौन सी समस्या किस हिस्से में है.
टेस्ट में पूरी तरह से फेल हो गई नताशा
उसे सिर्फ समस्या और इंसान को मैच करना था. वो 4 लोगों के साथ ही मैच कर पाई जिनमें से 2 बिल्कुल गलत हुए. एक शख्स की खोपड़ी का कुछ हिस्सा काटकर निकाला गया था और वहां मेटल प्लेट लगा दी गई थी क्योंकि उसे ब्रेन ट्यूमर था जबकि एक शख्स की खोपड़ी बिल्कुल ठीक थी और उसका अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ था. इन दोनों ही लोगों के लिए उसने गलत अंदाजा लगा दिया. अपेंडिक्स वाले को खोपड़ी वाले से जोड़ दिया और दूसरे को अलग समस्या बता दी. तब जाकर वैज्ञानिक भी मान गए कि वो सिर्फ अंदाजे के आधार पर, फेमस होने के लिए ऐसा कर रही है.
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