जरा हटके

GPS की अंधभक्ति, ड्राइवर को पड़ी भारी, नेविगेशन ने ऐसे रास्ते पर पहुंचा दी कार

Gulabi
11 March 2022 10:58 AM GMT
GPS की अंधभक्ति, ड्राइवर को पड़ी भारी, नेविगेशन ने ऐसे रास्ते पर पहुंचा दी कार
x
जब से कॉमर्शियल कैब सर्विस का चलन बढ़ा है. नेविगेशन को फॉलो करना भी तभी से तेज़ हो गया
जब से कॉमर्शियल कैब सर्विस का चलन बढ़ा है. नेविगेशन को फॉलो करना भी तभी से तेज़ हो गया. हालांकि आमतौर पर इससे मदद ही मिलती है मगर कई बार इंसान इतनी बुरी तरह फंसता है कि फिर निकलने का कोई रास्ता ही नहीं सूझता.
ऐसा नहीं है कि इसमें गलती सिर्फ उस मशीन या App की है. भाई, उसमें जो फीड कर दिया गया वो उसी आधार पर सरपट चल रही है. मगर हमें तो अपनी आंखे और दिमाग खोल कर रखना चाहिए न. अब उन उबर कैब ड्राइवर को ही ले लीजिए जो आंखों से ज्यादा भरोसा अपने नेविगेशन पर करते थे. या यूं कहें कि अंधविश्वास करते थे. तभी तो उबड़खाबड़, सकरी और बिना मंज़िल वाले रास्ते पर जाकर ऐसा अटके की बस पूछिए ही मत.
GPS की अंधभक्ति, ड्राइवर को पड़ी भारी
दरअसल सामने से नज़र आ रहे खराब रास्ते को देखकर भी उबर ड्राइवर की मति मारी गई थी जो उसने ऐसी जगह जाकर गाड़ी फंसा दी. सामने से साफ नज़र आ रहा था कि वो रास्ता कहीं नहीं पहुंचने वाला. न तो उसमें कोई कार चल पाएगी, फिर भी जीपीएस और नेविगेशन ने वहां जाने को बोलो तो बोला. बस हर हाल में उनकी ही बात माननी होगी, लिहाज़ा नतीजा ये निकला की ड्राइवर ऐसे रास्ते पर गाड़ी खींचने की कोशिश करने लगा जहां दोनों तरफ ऊंचे टीले थे. रास्ता था ही नहीं बस ऊबड़-खाबड़, मरम्मत के लिए पड़ी एक सकरी पगडंडी की तरह थी वो जगह, जिसके दोनों तरफ से कंटीले रास्ते थे मगर नेविगेशन के सम्मान में कोई कमी न आए इसलिए आंख बंद कर ड्राइवर ने गाड़ी उस रास्ते पर चढा तो दी. मगर देर तक खींच नहीं पाया और बीच मझदार में फंस गया.
दोस्तों को किया कॉल तो जान में आई जान
खुद को बुरी तरह फंसा देख आखिर में यात्री ने दोस्तों को मदद के लिए कॉल करना ही बेहतर समझा जो आकर किसी तरह उसे कार से बाहर निकाल कर साथ ले गए. फिर अगले दिन कार के मुआयने पर जहां उसकी हालत देख सभी इस आश्चर्य में पड़ गए कि आखिर ऐसी पगडंडी पर ड्राइवर ने गाड़ी चढ़ाई तो चढ़ाई कैसे. वो इस कल्पना में हंस पड़े कि जब उस रास्ते पर मर्सिडीज़ रेंग रही होगी तो नज़ारा कैसे रहा होगा? जिसे उन्होंने मिस कर दिया. वहीं स्थानिय लोग जब इकट्ठा हुए तो उनका मानना था कि अगर ड्राइवर लोकल होता तो वो ऐसी गलती कभी नहीं करता. क्योंकि उसे पता होता कि इस रास्तें पर जाने का अंजाम क्या होने वाला था.
Next Story