इतिहास का वो अनोखा युद्ध, एक बाल्टी के लिए आपस में भिड़ गए थे दो राज्यों के सैनिक
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर में एक से बढ़कर एक खतरनाक युद्ध हुए, जिसमें हजारों-लाखों लोगों की जान चली गई। वैसे अधिकांश युद्ध के पीछे सिर्फ एक ही मकसद होता था, उस राज्य पर कब्जा कर अपनी सत्ता का विस्तार करना। लेकिन आज से करीब सैकड़ों साल पहले एक ऐसा युद्ध लड़ा गया था, जिसके पीछे की वजह केवल एक बाल्टी थी। आपको ये बात थोड़ी अजीब जरूर लग रही होगी, लेकिन ये सच है।
दरअसल, यह घटना 1325 ईस्वी की है, उस समय इटली में धार्मिक तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया था। यहां के दो राज्यों बोलोग्ना और मोडेना के बीच अक्सर लड़ाईयां होती रहती थी। क्योंकि बोलोग्ना को ईसाई धर्मगुरु पोप का समर्थन मिला हुआ था, जबकि मोडेना को रोमन सम्राट का समर्थन प्राप्त था। असल में बोलोग्ना के लोगों का मानना था कि पोप ही ईसाई धर्म के सच्चे गुरु हैं, जबकि मोडेना के लोग मानते थे कि रोमन सम्राट ही असली गुरु हैं।
बोलोग्ना और मोडेना के बीच 1296 ईस्वी में एक लड़ाई पहले ही हो चुकी थी। इसके बाद से दोनों राज्यों के बीच हमेशा तनाव बना रहता था। इतिहासकारों के मुताबिक, रिनाल्डो बोनाकोल्सी के शासनकाल में मोडेना काफी ज्यादा आक्रामक हो गया था और अक्सर बोलोग्ना पर हमले करते रहता था। दोनों राज्यों के बीच का यह तनाव उस वक्त एक बड़ी लड़ाई में तब्दील हो गया, जब 1325 ईस्वी में मोडेना के कुछ सैनिक चुपचाप बोलोग्ना के एक किले में घुस गए और वहां से लकड़ी की एक बाल्टी चुरा ली।
कहा जाता है कि वह बाल्टी हीरे-जवाहरातों से भरी हुई थी। जब कीमती रत्नों से भरी बाल्टी की चोरी की बात बोलोग्ना की सेना को पता चली तो उन्होंने मोडेना से उसे वापस देने को कहा, लेकिन मोडेना ने इससे साफ इनकार कर दिया। इसके बाद बोलोग्ना ने मोडेना के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी।
आपको बता दें कि बोलोग्ना के पास उस समय 32 हजार लोगों की सेना थी, जबकि मोडेना के पास सिर्फ सात हजार सैनिक थे। दोनों राज्यों के बीच सुबह-सुबह शुरू हुई लड़ाई आधी रात तक चली थी, लेकिन सबसे हैरानी की बात ये थी कि कम सैनिकों के बावजूद इस युद्ध में मोडेना की जीत हुई थी। इस युद्ध में दो हजार से भी ज्यादा सैनिक मारे गए थे।
बोलोग्ना और मोडेना के बीच हुई यह लड़ाई 'वॉर ऑफ द बकेट' या 'वॉर ऑफ द ऑकेन बकेट' के नाम से मशहूर है। आज भी वह बाल्टी एक म्यूजियम में रखी हुई है, जिसके लिए भीषण युद्ध लड़ा गया था।