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दुनिया का वो रहस्यमयी मंदिर, जहां दर्शन से नेपाल राज परिवार के लोगों की हो जाएगी मौत, पढ़ें क्या है रहस्य

Gulabi
25 Nov 2021 6:25 AM GMT
दुनिया का वो रहस्यमयी मंदिर, जहां दर्शन से नेपाल राज परिवार के लोगों की हो जाएगी मौत, पढ़ें क्या है रहस्य
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भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में प्रसिद्ध हिंदू मंदिर हैं
भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में प्रसिद्ध हिंदू मंदिर हैं। पड़ोसी देश नेपाल में भी कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं जहां पर हजारों भारतीय हर साल दर्शन के लिए जाते रहते हैं। इन्हीं मंदिरों में एक बेहद रहस्यमयी मंदिर है। इस मंदिर में कोई भी आम नागरिक तो पूजा कर सकता है, लेकिन नेपाल राजपरिवार के लोग इस मंदिर में पूजा नहीं कर सकते हैं। आईए जानते हैं इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में...
यह प्रसिद्ध मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शिवपुरी पहाड़ी के बीच स्थित यह भगवान विष्णु का मंदिर है और इसका नाम बुदानिकंथा है। यह प्राचीन मंदिर अपनी सुंदरता और चमत्कार के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि यह मंदिर राज परिवार के लिए शापित है। बुदानिकंथा मंदिर में राजपरिवार के लोग शाप के डर की वजह से दर्शन के लिए नहीं जाते हैं।
कहा जाता है कि राज परिवार का कोई भी सदस्य इस मंदिर में भगवान विष्णु की स्थापित मूर्ति के दर्शन करता है, तो उसकी मौत हो जाएगी, क्योंकि राजपरिवार को ऐसा शाप मिला हुआ है। इसकी वजह से राज परिवार के लोग इस मंदिर में पूजा-पाठ नहीं करने जाते हैं। राजपरिवार के लिए मंदिर में भगवान विष्णु की एक वैसी ही दूसरी मूर्ति स्थापित की गई है जिसकी वे पूजा कर सकें।
बुदानिकंथा मंदिर में भगवान विष्णु एक पानी के कुंड में 11 सापों के ऊपर सोती हुई मुद्रा में विराजमान हैं। भगवान विष्णु की काले रंग की यह मूर्ति नांगों की सर्पिलाकार कुंडली पर स्थित है। एक प्रचलित कथा के मुताबिक, एक बार एक किसान इस स्थान पर काम कर रहा था। इस दौरान किसान को यह मूर्ति मिली। 13 मीटर लंबे तालाब में स्थित भगवान विष्णु की मूर्ति पांच मीटर की है। नागों का सिर भगवान विष्णु के छत्र के रूप में स्थित है।
इस मंदिर में भगवान विष्णु के अलावा भगवान शंकर की भी मूर्ति स्थापित है। पौराणिक कथा के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला था, तो भगवान शिव ने इस सृष्टि को बचाने के लिए विष को पी लिया था। इसके बाद भगवान शिव के गले में जलन होने लगी, तो उन्होंने इस जलन को नष्ट करने के लिए पहाड़ पर त्रिशूल से वार कर पानी निकाला और इसी पानी को पीकर उन्होंने अपनी प्यास बुझाई और गले की जलन को नष्ट किया। शिव जी के त्रिशूल की वार से निकला पानी एक झील बन गया। अब उसी झील को कलयुग में गोसाईकुंड कहा जाता है।
बुदानीकंथा मंदिर में स्थित तालाब के पानी स्त्रोत यह कुंड है। इस मंदिर में हर साल अगस्त में शिव महोत्सव का आयोजन होता है। कहा जाता है कि इस दौरान इस झील के नीचे भगवान शिव की छवि दिखाई देती है।
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