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इतिहास में भयानक युद्ध, जिसमें लाखों लोगों की चली गई थी जान

Shiddhant Shriwas
19 July 2021 7:04 AM GMT
इतिहास में भयानक युद्ध, जिसमें लाखों लोगों की चली गई थी जान
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क ऐसे ही युद्ध की शुरुआत आज से करीब 65 साल पहले हुई थी, जिसे वियतनाम युद्ध के नाम से जाना जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इतिहास में कई ऐसे भयानक युद्ध हुए हैं, जिनमें लाखों लोगों की मौतें हुई हैं। एक ऐसे ही युद्ध की शुरुआत आज से करीब 65 साल पहले हुई थी, जिसे वियतनाम युद्ध के नाम से जाना जाता है। वियतनाम युद्ध शीतयुद्ध काल में वियतनाम, लाओस और कंबोडिया की धरती पर लड़ी गई एक भयंकर लड़ाई का नाम है। लगभग 20 साल तक चली यह लड़ाई साल 1955 में शुरू हुई थी, जो 1975 में जाकर खत्म हुई। यह युद्ध उत्तरी वियतनाम और दक्षिण वियतनाम की सरकार के बीच लड़ा गया था। इसे 'द्वितीय हिंद-चीन युद्ध' भी कहा जाता है। इस भीषण युद्ध में एक तरफ चीनी जनवादी गणराज्य और अन्य साम्यवादी देशों से समर्थन प्राप्त उत्तरी वियतनाम की सेना थी, तो दूसरी तरफ अमेरिका और मित्र देशों के साथ कंधे से कंधा मिला कर लड़ रही दक्षिणी वियतनाम की सेना। यह युद्ध और भी भयानक तब हो गया था जब लाओस जैसे छोटे से देश ने उत्तरी वियतनाम की सेना को अपनी धरती पर लड़ाई के लिए इजाजत दे दी।

इससे अमेरिका पूरी तरह बौखला गया और उसे सबक सिखाने के लिए हवाई हमले की योजना बनाई। अमेरिकी वायुसेना ने दक्षिण पूर्व एशिया के इस छोटे से देश लाओस पर इतने बम गिराए कि कहा जाता है कि लाओस का भविष्य बारूद के ढेर के नीचे दबा हुआ है।

कहते हैं कि अमेरिका ने साल 1964 से लेकर 1973 तक पूरे नौ साल लाओस में हर आठ मिनट में बम गिराए थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने प्रतिदिन दो मिलियन डॉलर (आज के हिसाब से करीब 15 करोड़ रुपये) सिर्फ और सिर्फ लाओस पर बमबारी करने में ही खर्च किए थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1964 से 1973 तक अमेरिका ने लगभग 260 मिलियन यानी 26 करोड़ क्लस्टर बम वियतनाम पर दागे थे, जो कि इराक के ऊपर दागे गए कुल बमों से 210 मिलियन यानी 21 करोड़ अधिक हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इस भीषण युद्ध में 30 लाख से भी अधिक लोग मारे गए थे, जिसमें 50 हजार से अधिक अमेरिका सैनिक भी शामिल हैं।

कई लोगों का मानना है कि इस युद्ध में अमेरिका की हार हुई थी। हालांकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि 20 साल तक चले इस भीषण युद्ध में किसी की भी जीत नहीं हुई। युद्ध की वजह से अमेरिकी सरकार को अपने ही लोगों और अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद वह युद्ध से पीछे हट गया था।

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