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तालिबान ने लगाई अफीम की खेती पर पाबंदी, जानिए क्या है वजह
Gulabi Jagat
5 April 2022 9:11 AM GMT
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अफीम की खेती पर पाबंदी
तालिबान (Taliban) ने हाल ही में अफीम और अन्य नशीले पदार्थों की खेती पर प्रतिबंध (Ban on (Opium and other drugs clutivations) लगा दिया है. इस खेती से हेरोइन जैसी नशीली ड्रग्स का कच्चा माल मिलता है दुनिया में अधिकांश देशों में प्रतिबंधित हैं. यह प्रतिबंध ऐसे समय पर आया है जब दक्षिणी अफगानिस्तान में अफीम की खेती में कटाई का समय शुरू हो रहा है. ऐसे में जहां तालिबान अंतरराष्ट्रीय सहयोग (International cooperation) की उम्मीद कर रहा है, वहीं अफगानिस्तान के किसान जिन्होंने अफीम की खेती को चुना है, एक बड़ संकट में आ गए हैं.
क्या है तालिबान का नया फरमान
तालिबना ( प्रवक्ता का कहना है कि अगर किसानों को अफीम की खेती करते हुए पाया गया तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा और उनकी अफीम की फसल को जला दिया जाएगा. अफीम के अलावा हेरोइन , हशीस और शराब के व्यापार को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है.अफीम अफगानिस्तान में लाखों लोगों के लिए रोजगार और कमाई के एक प्रमुख स्रोत माना जाता है, जहां लाखों किसान अपने जीवनयापन के लिए अफीम की फसल पर निर्भर होते हैं.
अफगानिस्तान की खस्ता आर्थिक हालत
तालिबान ने अफगानितान में अगस्त 2021 में फिर से सत्ता अपने कब्जे में ले ली थी उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय सहायता बंद होने से देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी. अंतरराष्ट्रीय समर्थन के बिना बहुत सारे सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरियां भी जाती रही हैं. मानवतावादी संगठनों ने चेताया कि अफगानिस्तान भुखमरी जैसी समस्याओं का सामना कर सकता है क्योंकि लोगों के पास भोजन खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है.
तालिबान की अपील
अफगानी मीडिया आउटलेट टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक अफीम पर पाबंदी की वजह से उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनाफी ने अंतरराष्ट्रीय दानकर्ताओं से किसानों को वैकल्पिक व्यवसाय को खोजने में सहयोग की मांग की है. संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम के अनुसार फिहलाल दुनिया की 80 प्रतिशत अफीम उत्पादन की आपूर्ति अफगानिस्तान से होती है और अफगानिस्तान हर साल इन उत्पादो से कम से कम 1.6 अरब डॉलर की सालाना कमाई करता है.
पहले भी ऐसा कर चुका है तालिबान
यह कोई पहली बार नहीं है कि अफगानिस्तान ने अफीम के व्यापार पर प्रतिबंध लगाया है. इससे पहले 1994 और 1995 के समय भी तालिबान ने अफीम के व्यापार पर प्रतिबंध लगाया था. 2001 में तालिबान की हटने से इस प्रतिबंध को फिर से रद्द कर दिया गया था.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मांग
ड्रग के व्यापार पर नियंत्रण अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तालिबान से एक प्रमुख मांग थी. तालिबान अगस्त 2021 से ही सत्ता में आने के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर स्वीकार्यता की मांग कर रहा है जिससे उस पर लगे प्रतिबंध हट सकें जो उसके बैंकिंग, व्यापार और विकास कार्यों में बाधक बन रहे हैं.
क्या ऐसी उम्मीद थी तालिबान से
तालिबान का यह कदम उन लोगों को हैरान कर रहा है जिन्होंने हाल ही में अफगानिस्तान में महिलाओं को लेकर तालिबान के फैसलों को सुना है. तालिबान ने महिलाओं पर कुछ पाबंदियां लगाई है जिसकी वजह से लोग यह मानने लगे थे कि तालिबान अपने पुराने ढर्रे पर लौट रहा है. लेकिन आर्थिक रूप से जर्जर हो चुके तालिबान के लिए अफीम की खेती पर पाबंदी लगाना एक बड़ी मजबूरी भी थी.
इस फैसले ने अफगानिस्तान के कई किसानों को मुसीबत में डाल दिया है. इस फैसले का बहुत सारे किसानों पर असर पड़ेगा क्योंकि अच्छी कीमत की उम्मीद में उन्होंने अफीम की खेती का रास्ता चुना था. वहीं दूसरी तरफ इस फैसले का तालिबान के अंदर भी पूरा समर्थन मिलेगा इसकी उम्मीद भी कम है. इस फैसले से अफगानिस्तान में ही तालिबान को नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. लेकिन एक सवाल यह भी है कि क्या यह पाबंदी तालिबान के अंतरराष्ट्रीय सहयोग साहिल करने के लिए काफी होगी?
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