एक ऐसा लंबा आदमी, दो साल की उम्र में इस शख्स की चार फीट से ज्यादा थी लंबाई
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया के सबसे लंबे आदमी का विश्व रिकॉर्ड अक्सर बदलते रहता है, लेकिन इसी से जुड़ा एक विश्व रिकॉर्ड ऐसा भी है जो 80 साल से बरकरार है। 1940 से अब तक उस रिकॉर्ड को कोई भी तोड़ नहीं सका है। ये रिकॉर्ड है इतिहास के सबसे लंबे आदमी के तौर पर विख्यात रॉबर्ट वॉड्लो का। वह दुनिया के अब तक के सबसे लंबे व्यक्ति के तौर पर जाने जाते हैं। उनकी लंबाई आठ फीट 11.1 इंच थी। इतना लंबा व्यक्ति उनके बाद आज तक धरती पर पैदा नहीं हुआ है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम आज भी दर्ज है।
रॉबर्ट अमेरिका के एल्टन (इलीनोइस) शहर के रहने वाले थे। 22 फरवरी 1918 को जन्मे रॉबर्ट के माता-पिता तो सामान्य ऊंचाई वाले थे, लेकिन उनकी ऊंचाई जन्म के कुछ महीने बाद से ही बेतहाशा बढ़ने लगी थी। महज छह महीने में ही उनकी लंबाई तीन फीट के करीब हो गई थी जबकि उनके जितनी ऊंचाई पाने में सामान्य बच्चों को कम से कम दो साल का वक्त लगता है।
रॉबर्ट जब एक साल के थे तो उनकी लंबाई तीन फीट छह इंच थी, जो दो साल के होते-होते चार फीट छह इंच से ज्यादा हो गई। पांच साल की उम्र में वो पांच फीट छह इंच से ज्यादा और 12 साल की उम्र में वो सात फीट लंबे थे। उस वक्त रॉबर्ट दुनिया के सबसे लंबे लड़के थे।
साल 1936 में महज 18 साल की उम्र में रॉबर्ट ने दुनिया के सबसे लंबे आदमी का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। उस समय उनकी ऊंचाई आठ फीट चार इंच थी। वैसे आमतौर पर लोग 9-10 या 11 नंबर का जूता पहनते हैं, लेकिन एक जूते बनाने वाली कंपनी ने रॉबर्ट के लिए खास जूते बनाए थे, जिसका साइज 37AA था।
रॉबर्ट की असाधारण लंबाई के बढ़ने का मुख्य कारण उनकी पीयूषिका-ग्रंथि का बढ़ना था। हालांकि ज्यादा लंबाई रॉबर्ट के लिए घातक सिद्ध हुई, क्योंकि उनके पैर और एड़ियों में कमजोरी आ गई थी, जिसकी वजह से उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होती थी। बाद में तो उन्हें चलने के लिए सहारे की जरूरत पढ़ने लगी थी। उनके टखने में एक छाला भी हो गया था, जिससे बाद में इन्फेक्शन हो गया। इन सभी परेशानियों से जूझते हुए 15 जुलाई 1940 को महज 22 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई थी।
बताया जाता है कि रॉबर्ट के शव को 450 किलो भारी ताबूत में रखकर दफनाया गया था। इस ताबूत को उठाने में 12 से ज्यादा लोग लगे थे। उन्हें एल्टन के ओकवुड कब्रिस्तान में दफनाया गया है। एल्टन में उनकी एक आदमकद मूर्ति आज भी लगी हुई है।