देश के ज्यादातर राज्यों में बाढ़ और बारिश कहर बरपा रहे हैं. शहर हों या गांव तबाही की तस्वीर हर जगह दिख रही है. इस तबाही के साइडइफेक्ट्स भी दिख रहे हैं. मध्य प्रदेश के सिवनी के एक सरकारी स्कूल के बच्चे टपकती छत के नीचे छाता लेकर पढ़ाई को मजबूर हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में भी तस्वीर बदलती नहीं दिखती.
सिवनी जिले के आदिवासी ब्लॉक घंसौर के ग्राम खैरी कला मिडिल स्कूल से आई ये तस्वीरें अगर पढ़ाई को लेकर बच्चों के जुनून को दिखा रहा है, तो वहीं सिस्टम पर सवाल भी उठा रहा है जो मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूल की तरह बनाने का दावा करता है. सिवनी के खैरीकला गांव के इस सरकारी स्कूल की छत से बारिश का पानी लगातार टपकता है. कमरों में पानी भर जाता है और ऐसे में बच्चों के लिए पढ़ाई करना मुश्किल है.
ये हाल सिर्फ एक क्लासरूम का नहीं ब्लकि सभी का है. छत का हाल इतना बुरा है कि कब गिर जाए पता नहीं. स्कूल में पहले भी हादसा हो चुका है, एक छात्र को चोट भी लगी थी, लेकिन इससे सबक सीखा नहीं गया. शिकायत की गई, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही. स्कूल प्रशासन को छतों की मरम्मत के लिए सहायता राशि का इंतज़ार है, लेकिन कहीं ये इंतज़ार बच्चों की ज़िंदगी पर भारी न पड़ जाए.
यूपी के स्कूल का ऐसा है हाल
शिव'राज में मध्यप्रदेश की दुर्दशा देखिए :
— MP Congress (@INCMP) July 26, 2022
सिवनी जिले के खैरीकला गांव में छत से टपक रहे पानी से बचने के लिए बच्चे स्कूल के अंदर छाता लगा कर पड़ाई करने पर मजबूर हैं।
शिवराज जी,
पूरा मध्यप्रदेश निगल लिया,
लेकिन बच्चों को स्कूल तक नहीं दे पाए❓
ये है आपके 18 सालों का हासिल❓ pic.twitter.com/zxLsSBxcCH
उत्तर प्रदेश भले ही बदल रहा हो लेकिन सरकारी स्कूलों में हालात बदलते नहीं दिखते. मथुरा के दघेटा गांव के प्राथमिक विद्यालय में थोड़ी सी बारिश के बाद पूरे स्कूल में पानी भर जाता है. बच्चे हों या टीचर, सभी के लिए इस पानी के बीच से क्लासरूम में पहुंचना मुश्किल भरा साबित होता है.
इस बार भी जब बारिश के बाद पानी भर गया तो एक टीचर ने इस पानी को पार करने के लिए कुर्सी के पुल का सहारा लिया. टीचर ने बच्चों से कुर्सियां लगवा दीं और उनके ऊपर से होकर पानी को पार किया. हालांकि तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि अपनी टीचर को पानी के पार सुरक्षित पहुंचाने के लिए बच्चे खुद पानी में खड़े हैं. साथ ही वो कुर्सी भी पकड़े हुए हैं ताकि संतुलन न बिगड़े. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद बच्चों की तारीफ हो रही है तो टीचर पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं.