जरा हटके

अजीबो-गरीब परंपरा! साजन के होते हुए विधवा की तरह जिंदगी जीती हैं ये महिलाएं

Gulabi
16 Jan 2021 3:16 PM GMT
अजीबो-गरीब परंपरा! साजन के होते हुए विधवा की तरह जिंदगी जीती हैं ये महिलाएं
x
भारत दुनियाभर में सबसे ज्यादा विविधताओं से भरा हुआ देश है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत दुनियाभर में सबसे ज्यादा विविधताओं से भरा हुआ देश है. यहां विभिन्न तरह की धार्मिक परंपराएं, रीति रिवाज और मान्यता प्रचलन में है. काफी लंबे अरसे से देश में कुछ अजीबो-गरीब परंपराएं चली आ रही है. इन्हीं में से एक परंपरा है गछवाहा समुदाय की. जिसके मुताबिक गछवाहा समुदाय से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं अपने पति के जिंदा होते हुए भी कुछ महीनों के लिए विधवाओं जैसा जीवन जीती हैं.


दरअसल, इस समुदाय की महिलाएं पति के लंबे जीवन की कामना के लिए विधवा बनकर रहती हैं. ये समुदाय देवरिया, गोरखपुर और कुशीनगर जिलों में रहता है. गछवाहा समुदाय का काम ताड़ के पेड़ों से 'ताड़ी' उतारना है. ताड़ी उतारने का काम साल में तकरीबन छह महीने तक चलता है और इस दौरान इस समुदाय की महिलाएं न तो अपनी मांग में सिंदूर लगाती हैं और न ही मेकअप करती हैं.
गछवाहा समुदाय की महिलाएं अपने मेकअप से जुड़ा सामान देवरिया से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तरकुलहा देवी के मंदिर में रखती हैं. तरकुलहा देवी इस समुदाय की कुल देवी माना जाता है. सावन महीने के नागपंचमी के दिन तरकुलहा मंदिर में सारी महिलाएं पूजा के लिए इकठ्ठा होती हैं. इस दिन मंदिर में पूजा के दौरान वे अपनी मांग सिंदूर से भरती हैं.

तरकुलहा देवी मंदिर में माह चैत्र से लेकर वैशाख महीने तक एक माह का मेला लगता है. इस दौरान यहां दूर दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं. नवरात्र के दिनों में यहां भक्तों की काफी भीड होती है. यहां प्रसाद के रूप में पशुबलि देकर माता को प्रसन्न किया जाता है. एक मान्यता ये भी है कि मंदिर क्षेत्र में भक्तगण बकरे का मांस पकाकर प्रसाद के तौर उसका सेवन करते हैं.

गछवाहा समुदाय कब से इस परंपरा को मानता आ रहा है, इस बारे में कुछ भी पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है लेकिन कुछ लोग बताते हैं कि वे अपने पूर्वजों से ही इस अनोखी परंपरा के बारे में सुनते आए हैं. ताड़ के पेड़ों से 'ताड़ी' उतारने का काम काफी मुश्किल भरा माना जाता है. सुबह धूप से पहले पेड़ से उतरने वाली ताड़ी को स्वास्थ्य के लिहाज से काफी फायदेमंद भी माना जाता है.


Next Story