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वैज्ञानिकों को दिखा चट्टान में शैतानी आकार के पैरों के निशान, रहस्यमयी है ये फुटप्रिंट्स
Ritisha Jaiswal
5 Jan 2022 10:13 AM GMT

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वैज्ञानिकों को एक चट्टान पर शैतानी आकार के पैरों के निशान दिखाई दिए हैं
वैज्ञानिकों को एक चट्टान पर शैतानी आकार के पैरों के निशान दिखाई दिए हैं. जहां ये फुटप्रिंट्स मिले हैं अनुमान है की वहां का तापमान करीब 300 डिग्री सेल्सियस रहा होगा. ऐसे में आश्चर्य इस बात का है कि आखिर कोई इस टेम्परेचर में ज़िंदा कैसे रह सकता है? रहस्यमयी फुटप्रिंट्स (Mysterious Footprints) इटली (Italy) में एक ज्वालामुखी के करीब मिले हैं.
विशाल शैतानी फुटप्रिंट मिलने से ये अंदाज़ा लगाया जा रहा है की निशान निएंडरथल (Neanderthal) के होंगे, जो ज्वालामुखी विस्फोट के ठीक बाद ऊपर की तरफ आगे बढ़ते रहे होंगे. इन निशानों को देखकर वैज्ञानिकों का मानना है की हज़ारों साल पहले मानव का आकार आज के इंसानों की तुलना में काफी विशाल था, जिसने शैतान जैसे जैसे निशान छोड़े.
3 लाख 50 हज़ार साल पुराने निशान
फुटप्रिंट के ट्रैक को 'सिआम्पेट डेल डियावोलो' (Ciampate del Diavolo) या 'डेविल्स ट्रेल' (Devil's Trail) के रूप में जाना जाता है. फिर भी ये जानना दिलचस्प ही है कि आखिर ये निशान वहां बने कैसे. रोक्कैमोनफिना (Roccamonfina) एक विलुप्त ज्वालामुखी है, जो दक्षिण इटली ((southern Italy) में स्थित है. ये ज्वालामुखी हज़ारों सालों से फटा नहीं है. हालांकि हाल में मिले रहस्यमयी निशान से यहां आस-पास रहने वाले लोग बिल्कुल अनजान नहीं है. रेडियोमेट्रिक और भूवैज्ञानिकों की डेटिंग के अनुसार करीब 3 लाख 50 हज़ार साल पहले ज्वालामुखी विस्फोट के बाद बची नर्म राख (Soft blanket of ash) में प्रिंट्स डाले गए थे जिसकी मदद से अब तक के सबसे पुराने संरक्षित इंसानी पैरों के निशान(Human footprints) बनाने में सफलता मिली हैं.
धधकते शोलों के करीब बने निशान आश्चर्यजनक
वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की टीम लगातार ऐसे अभियान में जुटी हुई है जो हज़ारों सालों पुराने जीवाश्म, निशान और अवशेषों की जांच कर उनका समय काल और आकार का पता लगाने की कोशिश करती है. ये जानने की कोशिश की जा रही है की आखिर भौगोलिक और इंसानी समीकरण हजारों साल पहले कैसे था ? इटली की कई संस्थाओं के वैज्ञानिकों की खोज की बदौलत करीब 14 और प्रिंट की जानकारी मिली है, जो पहले प्राप्त निशान से बड़े हैं. इनमें से कुछ निशान नीचे की बजाय ऊपर पहाड़ की की तरफ बढते मिले हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक विस्फोट के बाद निकली गर्म राख 300 डिग्री सेल्सियस तक धधकती रहती है जिसे करीब 50 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करने की ज़रूरत होती है. जिसमें कई घंटे का वक्त लगता है. ऐसे में गर्म राख की परत पर चलना किसी भी इंसान के लिए नामुमकिन जैसा होगा. ऐसे में वहां मिले रहस्यमयी फुटप्रिंट्स वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं के लिए अचरज का विषय है, जिस पर और जानकारियां जुटाने का काम जारी है
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Ritisha Jaiswal
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