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वैज्ञानिकों ने जंपिंग स्पाइडर पर किया शोध, इंसानों की तरह ही लेते हैं नींद

Ritisha Jaiswal
21 Aug 2022 7:50 AM GMT
वैज्ञानिकों ने जंपिंग स्पाइडर पर  किया शोध, इंसानों की तरह ही लेते हैं नींद
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कुछ खेल इतनी एनर्जी से भरे हुए होते हैं कि इसके खिलाड़ी जोश में कुछ भी कर सकते हैं.

कुछ खेल इतनी एनर्जी से भरे हुए होते हैं कि इसके खिलाड़ी जोश में कुछ भी कर सकते हैं. आपने बॉक्सिंग और रेस्लिंग जैसे गेम्स में ताकत का प्रदर्शन देखा होगा लेकिन फुटबॉल और क्रिकेट में भी खिलाड़ी कभी-कभी ऐसा कर देते हैं कि सालों तक लोगों को इसके किस्से याद रह जाते हैं. कुछ ऐसा ही किया एक पराग्वे के फुटबॉलर ने 17 साल की उम्र में, जब उसकी फुटबॉल प्रैक्टिस के रास्ते में एक उड़ता हुआ प्लेन रोड़ा बन रहा था.

आपने अपने छतों से प्लेन को गुजरते कई बार देखा होगा. कई बार ये प्लेन इतने नज़दीक से गुजरते हैं कि उन्हें साफ-साफ देखा जा सकता है, हालांकि ये फिर भी इतना पास नहीं होते कि कोई चीज़ उछालकर वहां पहुंचाई जा सके. ऐसा कमाल एक फुटबॉलर ने कर दिखाया था. रॉबर्ट गैब्रिएल ट्राएगो (Roberto Gabriel Trigo) नाम के एक Paraguay के खिलाड़ी ने अपने एक शॉट से आसमान में उड़ती प्लेन मार गिराई.
ये घटना करीब 60 साल पहले है. 17 साल के फुटबॉलर रॉबर्ट गैब्रिएल ट्राएगो (Roberto Gabriel Trigo)उस वक्त General Genes football club of Asuncion में थे. कुछ लोग बताते हैं कि वे प्रैक्टिस मैच खेल रहे थे तो कुछ लोगों का कहना है वे एक ऑफिशियल गेम खेल रहे थे. इसी दौरान एक छोटा प्लेन लगातार लो लेवल पर उड़ रहा था. प्लेन से परेशान होकर ट्राएगो ने फुटबॉल को इतना ज़ोर से किक किया कि वो सीधा जाकर प्लेन के इंजन पर लग गया और प्लेन खुले मैदान में क्रैश हो गया. ये घटना मैदान से 200 मीटर की दूरी पर हुई.
EFE से बात करते हुए रॉबर्ट ने कहा प्लेन जिस शख्स को जानते थे और वो रोज़ाना प्लेन को मैदान पर काफी नीचे उड़ाता था. ऐसे में उन्होंने चेतावनी भी दी थी कि वो ऐसा नहीं करें वरना वे इसे बॉल से शूट कर देंगे. किसी को भरोसा नहीं था कि वो ऐसा कर सकते हैं लेकिन उन्होंने 1957 की फरवरी में ये कर दिखाया. उन्होंने बॉल को सीधा ऊपर की ओर उछाल दिया. प्लेन क्रैश होने के बाद वो परेशान हो गए, लेकिन जब उन्हें पता चला कि पायलट सुरक्षित है, तब उनकी जान में जान आई. अब The General Genes Club तो नहीं रहा, लेकिन इसके किस्से आज भी मशहूर हैंबच्चे हों या बड़े, पर्याप्त नींद लेना हर इंसान के लिए जरूरी होता है. हमारा स्वास्थ्य सही रहता है, हम ऊर्जा मेहसूस करते हैं. आपने जानवरों को भी गहरी नींद लेते देखा होगा. कुत्ते-बिल्ली जैसे जीव भी कई बार घोड़े बेचकर सो जाते हैं. सोशल मीडिया पर आपको जानवरों के सोने से जुड़े कई वीडियोज देखने को मिल जाएंगे मगर क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान या अन्य जानवरों की तरह मकड़ियां (Do you know spiders sleep like humans) भी सोती हैं या नहीं?
ऑडी वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज़ की लीड ऑथर डेनियला रोएसलर (Daniela Roessler) और उनकी टीम ने उछलने वाली मकड़ियों के बच्चों (Jumping Spider Babies research) पर एक पूरी रात जागकर अध्ययन किया और उनकी नींद से जुड़ी चौंकाने वाली बातें बताईं. वीडियो में नजर आ रहा है कि मकड़ियों (Spiders sleeping pattern) का भी एक स्लीप पैटर्न है. नींद के वक्त मकड़ियों का पैर हिलता नजर आया और उनकी आंखें भी फड़फड़ाते नजर आईं.
वैज्ञानिकों ने दावा किया कि मकड़ियां मनुष्यों के समान REM-स्लीप जैसी अवस्था (REM Sleep-like state) में चली जाती हैं. REM का अर्थ है रैपिड आई मूवमेंट यानी सोते वक्त जैसे इंसान की आंख की पुतलियां हिलती हैं, वैसे ही मकड़ियों की भी हिलती हैं. इससे माना जाता है कि इंसान के मस्तिष्क का एक भाग चौकन्ना हो जाता है और इसे नींद में सपने देखने से जोड़कर देखा जाता है.
आसान शब्दों में कहें तो वैज्ञानिकों ने पाया कि मकड़ियां भी इंसानों की तरह सोती हैं और मुमकिन है कि नींद में हमारी ही तरह सपने भी देखती हैं. पक्षी और कई स्तनधारी जीव भी रेम-स्लीप स्टेट में सोते हैं. जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ कॉनस्टैंज की रोएसलर ने कहा कि मकड़ियों पर अभी तक लोगों का ध्यान कम गया था, इसलिए उनके नींद का पैटर्न समझ नहीं आया था. उन्होंने कहा कि इससे पहले उन्होंने ऐसा कुछ कभी नहीं देखा है. वैज्ञानिकों ने बताया कि जंपिंग स्पाइडर अपनी आंखों के रेटीना को इधर-उधर घुमाकर अपनी निगाह को बदलते रहते हैं जिससे वो बेहतर तरीके से अपने शिकार को देख पाएं.


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