जरा हटके

'हर कर्मचारी को 63 लाख रुपये सैलरी, चर्चा में है दरियादिल बॉस

Ritisha Jaiswal
9 Aug 2022 1:39 PM GMT
हर कर्मचारी को 63 लाख रुपये सैलरी, चर्चा में है दरियादिल बॉस
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किसी कंपनी की कामयाबी के पीछे उसके स्टाफ की मेहनत का बड़ा हाथ होता है. ऐसे में कर्मचारी को कंपनी और बॉस से कुछ अपेक्षाएं होती हैं,

किसी कंपनी की कामयाबी के पीछे उसके स्टाफ की मेहनत का बड़ा हाथ होता है. ऐसे में कर्मचारी को कंपनी और बॉस से कुछ अपेक्षाएं होती हैं, जो कभी बिना कहे ही पूरी हो जाती हैं तो कभी उन्हें निराश होना पड़ता है. अमेरिका के एक बॉस की चर्चा इस वक्त जमकर हो रही है, जिन्होंने अपने कर्मचारियों को इतनी सुविधाएं दे रखी हैं कि उन्हें दुनिया का सबसे बेहतरीन बॉस कहा जा रहा है.

अमेरिका के एक बड़े दिलवाले बॉस की कहानी इन दिनों वायरल हो रही हैं. Gravity Payments नाम की कंपनी चलाने वाले डैन प्राइस (Dan Price) अपने स्टाफ को कम से कम USD 80,000 यानि 63.7 लाख रुपये/सालाना की सैलरी देते हैं और वे चाहते हैं कि ऐसा हर किसी को करना चाहिए. वे अपने कर्मचारियों के इससे इतर भी कुछ ऐसी सुविधाएं देते हैं, जिसके बारे में अभी किसी कंपनी ने सोचा भी नहीं होगा.
खुद डैन प्राइस (Dan Price) ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ये बात बताई है – 'मेरी कंपनी कम से कम USD 80,000 का पैकेज देती है, वो उन्हें कहीं से भी काम करने की आज़ादी के साथ पूरी सुविधाएं भी मुहैया कराती है. कर्मचारियों को पेड पैटर्नल लीव मिलती है. इस वक्त हमारे पास 300 से भी ज्यादा जॉब एप्लिकेशन हैं.' उन्होंने आगे कहा कि कोई भी नहीं चाहता कि वो नर्क में काम करे. कंपनियां कर्मचारियों को सही वेतन नहीं देती हैं और उन्हें सम्मान नहीं देतीं. उन्होंने इंस्टाग्राम पर भी ये पोस्ट डाली है और उचित वेतन पर बहस छेड़ दी है.
घर बेचकर बढ़ा चुके हैं कर्मचारियों का वेतन
31 साल के डैन, ग्रैविटी पेमेंट्स नाम से अपनी एक क्रेडिट कार्ड प्रोसेसिंग कंपनी चलाते हैं. वे पहले भी साल 2021 में सुर्खियां बटोर चुके हैं, जब उन्होंने बड़ा फैसला लेते हुए अपने स्टाफ की सैलरी 51 लाख कर दी थी. इसके लिए उन्होंने अपने वेतन में 7 करोड़ की कटौती की थी. इतना ही नहीं उन्होंने अपना दूसरा घर भी बेच दिया. इससे मिलने वाले पैसे से ही उन्होंने अपने स्टाफ के लोगों का वेतन मिनिमम 51 लाख कर दिया था. इस वक्त उनकी सैलरी उनकी कंपनी के कर्मचारियों के ही बराबर है. उनके इस फैसले की आलोचना हुई थी, लेकिन वे इसे सही मानते हैं


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