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रिसर्च: शार्क के पास होता है प्राकृ‍ति नेविगेटर, ऐसे खोज लेती हैं समंदर में अपना रास्‍ता

Gulabi
8 May 2021 2:38 PM GMT
रिसर्च: शार्क के पास होता है प्राकृ‍ति नेविगेटर, ऐसे खोज लेती हैं समंदर  में अपना रास्‍ता
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आपने किसी अनजान जगह पर जाने के लिए गूगल मैप का सहारा तो जरूर लिया होगा. लेकिन

आपने किसी अनजान जगह पर जाने के लिए गूगल मैप का सहारा तो जरूर लिया होगा. लेकिन क्‍या आपको पता है कि गूगल मैप से भी सटीक रास्‍ता विशालकाय समंदर में रहने वाली शार्क को पता होता है? करेंट बायोलॉजी ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया है कि शार्क के पास प्राकृतिक जीपीएस नैविगेटर होता है, जिससे उन्हें कोई भी रास्‍ता बहुत अच्‍छे से पता होता है. दशकों से यह बात कही जाती रही है कि पानी में रहने वाले जीव लंबी दूरी तय करने के में सक्षम होते हैं. खास बात है कि शिकार के बाद वे अपनी जगह पर वापस भी आ जाते हैं.

अपने शिकार का पता लगाने और उन तक पहुंचने के लिए शार्क इलेक्‍ट्रोसेंसिंग क्षमता का इस्‍तेमाल करती हैं. इस प्रकार वे दूसरे जलीय जीवों की तरह ही मैग्‍नेटिक फील्‍ड का सहारा लेकर शिकार करती हैं और फिर अपने स्‍थान पर वापस चली जाती हैं. हालांकि, अभी तक इसे साबित नहीं किया जा सका था.
इस बारे में पता लगाने के लिए फ्लोरिडा स्थित एक फाउंडेशन के रिसर्चर्स ने एक शार्क फैमिली पर रिसर्च किया है. उन्‍होंने देखा कि ये शार्क हर साल एक तय स्‍थान पर वापस लौट आते हैं. इस प्रकार यह साबित होता है कि शार्क को पानी के अंदर अपना मूल स्‍थान पता याद होता है और वो लंबी दूरी के बाद भी यहां लौट आती हैं.
इस रिसर्च में आर्टिफिशियल मग्‍नेटिक फील्‍ड तैयार किया गया. रिजल्‍ट में पाया गया कि शार्क ने इस मैग्‍नेटिक फील्‍ड के आधार पर ही लोकेशन का पता लगाया. जब वो अपनी मूल स्‍थान पर पहुंच गईं तो वे किसी नये लोकेशन की तलाश में नहीं थीं.
रिसर्चर्स ने यह भी कहा कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि उन्‍होंने जिस प्रजाति के शार्क पर यह रिसर्च किया है, दूसरे प्रजाति के शार्क में ऐसा न देखने को मिले. 'द ग्रेट व्‍हाइट' शार्क भी दक्षिण अफ्रीका से ऑस्‍ट्रेलिया तक चली जाती हैं और वे फिर वापस दक्षिण अफ्रीका भी पहुंच जाती हैं.
शार्क की यह प्रजाति 9 महीनों में 20,000 किलोमीटर की दूय करती हैं और फिर अपने मूल स्‍थान पर वापस भी आ जाती हैं.
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