जरा हटके

हवाई जहाज के इंजन पर मुर्गे क्‍यों फेंके जाते हैं, पूछा गया सवाल

Manish Sahu
5 Oct 2023 10:02 AM GMT
हवाई जहाज के इंजन पर मुर्गे क्‍यों फेंके जाते हैं, पूछा गया सवाल
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जरा हटके: हममें से बहुत सारे लोगों ने कभी न कभी फ्लाइट का सफर जरूर किया होगा. लेकिन इससे जुड़ी कई सारी बातें हमें पता नहीं होतीं. और जब जानकारी सामने आती है तो हम चौंक जाते हैं. ऐसा ही एक सवाल सोशल मीडिया साइट कोरा (Quora)पर इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. एक यूजर ने पूछा कि हवाई जहाज के इंजन पर मुर्गे क्‍यों फेंके जाते हैं? सवाल आपने भी कई बार सुना होगा. आज हम आपको इसकी हकीकत बताने जा रहे हैं, जो काफी चौंकाने वाला है.
हवाई जहाज के इंजन पर मरे हुए मुर्गे फेंकने के पीछे एक खास वजह होती है. ऐसा इसल‍िए किया जाता है ताकि एरोप्‍लेन के इंजन को टेस्‍ट किया जा सके. आपने कई बार सुना होगा कि कोई पक्षी फ्लाई विंग्‍स से टकरा गया. इससे हादसा होने का डर रहता है. फ्लाइट क्रैश होने पर हजारों यात्रियों की जान भी जा सकती है. इससे बचने के लिए इंजन को टेस्‍ट किया जाता है. ताकि कभी लैंडिंग या टेकऑफ के समय कोई भी पक्षी जहाज से टकराए तो जहाज को नुकसान न हो.
कई बार नकली पक्षी होते हैं या मरे हुए मुर्गे भी
एव‍िएशन एक्‍सपर्ट के मुताबिक, जब भी विमान हवा की ओर जा रहा होता है या लैंड कर रहा होता है तो एक बात का डर हमेशा लगा रहता है कि कोई पक्षी आकर टकरा न जाए. इससे जहाज को भी नुकसान होने का डर रहता है. इसल‍िए विमान निर्माता कंपन‍ियां मुर्गे फेंककर उसे टेस्‍ट करती हैं. इसे “बर्ड कैनन” कहा जाता है. कई बार ये नकली पक्षी भी होते हैं. या मरे हुए मुर्गे भी. ताकि सुनिश्च‍ित किया जा सके कि पक्षी के टकराने से विमान का इंजन काम करना बंद न कर दे. इस प्रोसेस में 2 से 4 किलो चिकन का इस्तेमाल किया जाता है.
1950 में पहली बार हुआ प्रयोग
दशकों पहले से ऐसा किया जा रहा है. सबसे पहले 1950 के दशक में हर्टफोर्डशायर के डे हैविलैंड एयरक्राफ्ट में ऐसा किया गया था. इस प्रोसेस में मरी हुई मुर्गियों को काम में लिया जाता है और देखा जाता है कि इंजन में आग तो नहीं लग रही है. उस वक्‍त इस परीक्षण में एक मुर्गे को एक इंजन में फेंका गया था. परीक्षण सफल रहा और मुर्गा इंजन से बिना किसी नुकसान के निकल गया. इस परीक्षण के बाद मिथक फैल गया कि हवाई जहाज के इंजनों को टेस्ट करने के लिए मुर्गे का उपयोग किया जाता है. लेकिन आजकल ऐसा बहुत कम होता है या बिल्‍कुल भी नहीं होता. क्‍योंकि इंजन टेस्‍ट करने के और भी आधुन‍िक तरीके आ गए हैं.
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