जरा हटके

आसमान में छाए प्‍लास्टिक के बादल, कभी भी हो सकती है इनकी बार‍िश

Manish Sahu
2 Oct 2023 3:17 PM GMT
आसमान में छाए प्‍लास्टिक के बादल, कभी भी हो सकती है इनकी बार‍िश
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जरा हटके: बारिश की बूंदें हर किसी को तरोताजा कर देती हैं. लोग बार‍िश में भीगना चाहते हैं, उसका लुत्‍फ लेना चाहते हैं. लेकिन सोच‍िए अगर पानी के बूंदों की प्‍लास्टिक की बार‍िश होने लगे तो क्‍या होगा? जी हां, आप बिल्‍कुल सही सुन रहे हैं. जापान में वैज्ञानिकों की एक टीम ने बादलों के बीच तैरते हुए नौ प्रकार के पॉलिमर और एक रबर की खोज की है. साइंटिस्‍ट इसे जलवायु के लिए चिंताजनक संकेत मान रहे हैं. क्‍योंकि प्‍लास्टिक अगर इकट्ठा हो गए तो धरती का वायुमंडल खतरे में पड़ सकता है. पहली बार इस तरह की रिपोर्ट सामने आई है.
न्‍यूयॉर्क पोस्‍ट की रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं की टीम ने माउंट फ़ूजी और माउंट ओयामा की चोटियों पर छाई धुंधली धुंध से पानी इकट्ठा किया और उस पर रिसर्च की. सभी नमूनों का कंप्यूटर इमेजिंग तकनीक की मदद से विश्लेषण किया. साइंटिस्‍ट ने पाया कि बादल से लिए गए हर लीटर पानी में प्लास्टिक के 6.7 से 13.9 टुकड़े थे. इनकी माप 7.1 माइक्रोमीटर से लेकर 94.6 माइक्रोमीटर तक थी. इनका व्‍यास इंसानों के एक बाल के बराबर थी.
हाइड्रोफिलिक पॉलिमर की सबसे ज्‍यादा मात्रा
एनवायरमेंटल केमिस्ट्री लेटर्स में पब्‍ल‍िश रिसर्च के मुताबिक, पानी की इन बूंदों में हाइड्रोफिलिक पॉलिमर की सबसे ज्‍यादा मात्रा पाई गई. हाइड्रोफिलिक पॉलिमर भारी मात्रा में पानी या जलीय घोल को अवशोषित करके फूल जाते हैं. यह पानी को पकड़कर रखते हैं. लेकिन सूरज से आने वाले यूवी विकिरण इन जहरीले पॉलिमर के बंधन को तोड़ देते हैं, जिनसे कार्बन डाई ऑक्‍साइड और नाइट्रोजन जैसी ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा बढ़ती है. इसल‍िए बादलों में इनकी ज्‍यादा मात्रा होना काफी खतरनाक संकेत है.
बिगाड़ सकते हैं बार‍िश का चक्र
वासेदा विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक हिरोशी ओकोची ने कहा, प्‍लास्टिक के ये कण हमारे वायुमंडल में प्रदूषण की वजह से आए हैं. अगर इस समस्‍या से नहीं निपटा गया तो ये बार‍िश का चक्र बिगाड़ सकते हैं. भव‍िष्‍य में इसकी वजह से सूखा पड़ सकता है. पहली बार इस तरह की रिपोर्ट सामने आई है. साइंस्टिस्‍ट के मुताबिक, माइक्रोप्लास्टिक ऐसे कण हैं जो 5 मिलीमीटर से कम आकार के होते हैं, वे काफी घातक होते हैं. यह हमारे पीने के पानी और भोजन की आपूर्ति से लेकर मानव अंगों और यहां तक कि एक मां के भ्रूण तक पहुंच सकते हैं. इससे तमाम तरह की बीमार‍ियां हो सकती हैं.
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