भारत का एक ऐसे मंदिर, जहां मेंढक की होती है पूजा, जाने इसके पीछे की वजह
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में भगवान और मंदिरों का बड़ा महत्व है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान ही इस सृष्टि का संचालन करते हैं। उनकी ही इच्छा से धरती पर सबकुछ होता है। वैसे तो हिंदू धर्म की मान्यता है कि भगवान हर जगह मौजूद हैं, लेकिन भारत की संस्कृति ऐसी है कि यहां जगह-जगह आपको अलग-अलग देवताओं के मंदिर मिल जाएंगे। ऐसा सदियों से चला आ रहा है कि लोग अपनी श्रद्धा से मंदिरों का निर्माण करवाते हैं। आपको बता दें कि हमारे देश में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने आप में काफी अनोखे हैं। मंदिरों में अलग-अलग देवताओं की पूजा के बारे में आपने खूब सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है, जहां मेंढक की पूजा होती है?
दरअसल, ये अनोखा मंदिर उत्तरप्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले के ओयल कस्बे में स्थित है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां मेंढक की पूजा होती है।
कहा जाता है कि इस जगह पर ओयल शैव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र था और यहां के शासक भगवान शिव के उपासक थे। इस कस्बे के बीच मंडूक यंत्र पर आधारित प्राचीन शिव मंदिर भी है।
आपको बता दें कि यह क्षेत्र 11वीं सदी से 19वीं सदी तक चाहमान शासकों के आधीन रहा था। चाहमान वंश के राजा बख्श सिंह ने ही इस अनोखे मंदिर का निर्माण कराया था।
कहते हैं कि इस मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान तांत्रिक ने की थी। तंत्रवाद पर आधारित इस मंदिर की वास्तु संरचना अपनी विशेष शैली के कारण लोगों का मनमोह लेती है।
इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। मेंढक मंदिर में दीपावली के अलावा महाशिवरात्रि पर भी भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।