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राजस्थान के एक रहस्यमय मंदिर की, जहां रात के समय भूलकर भी नहीं रुकते हैं लोग

Shiddhant Shriwas
5 July 2021 11:01 AM GMT
राजस्थान के एक रहस्यमय मंदिर की, जहां रात के समय भूलकर भी नहीं रुकते हैं लोग
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दुनियाभर में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं। कोई मंदिर अपने अद्भुत निर्माण के लिए मशहूर है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं। कोई मंदिर अपने अद्भुत निर्माण के लिए मशहूर है, तो कोई अपने अजीबोगरीब घटनाओं के वजह से। खासकर भारत में तो ऐसे रहस्यमय मंदिरों की भरमार है। देश के कोने-कोने में कोई न कोई मंदिर आपको देखने को मिल जाएंगे। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां से शाम ढलते ही लोग भाग जाते हैं। रात को तो यहां भूलकर भी कोई रुकना नहीं चाहता। इसके पीछे वजह ये बताई जाती है कि जो भी इंसान यहां रात को रुक जाता है, वो पत्थर का बन जाता है।

दरअसल, हम बात कर रहे हैं किराडू मंदिर की, जो राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है। किराडू मंदिर को राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय शैली में बना यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। कहते हैं कि 1161 ईसा पूर्व इस जगह का नाम 'किराट कूप' था।

किराडू पांच मंदिरों की एक श्रृंखला है, जिसमें से विष्णु मंदिर और शिव मंदिर (सोमेश्वर मंदिर) ही थोड़े ठीक हालात में हैं, जबकि बाकी के मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। इन मंदिरों का निर्माण किसने कराया था, यह कोई नहीं जानता, लेकिन मंदिरों की बनावट को देखकर यह अंदाजा लगाया जाता है कि शायद दक्षिण के गुर्जर-प्रतिहार वंश, संगम वंश या फिर गुप्त वंश के काल में इनका निर्माण हुआ होगा।

मान्यता है कि कई साल पहले किराडू में एक सिद्ध साधु अपने कुछ शिष्यों के साथ आए थे। एक दिन वो अपने शिष्यों को वहीं छोड़कर कहीं भ्रमण के लिए चले गए। इसी बीच एक शिष्य की तबीयत खराब हो गई। इसके बाद बाकी शिष्यों ने गांव वालों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की।

मान्यता है कि कई साल पहले किराडू में एक सिद्ध साधु अपने कुछ शिष्यों के साथ आए थे। एक दिन वो अपने शिष्यों को वहीं छोड़कर कहीं भ्रमण के लिए चले गए। इसी बीच एक शिष्य की तबीयत खराब हो गई। इसके बाद बाकी शिष्यों ने गांव वालों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की।

बाद में जब सिद्ध साधु वहां आए तो उन्हें सारी बातें पता चलीं। इसपर वो गुस्सा हो गए और गांववालों को श्राप दिया कि सूर्यास्त होने के बाद सभी लोग पत्थर के बन जाएं।

एक मान्यता यह भी है कि एक महिला ने साधु के शिष्यों की मदद की थी, इसलिए उस साधु ने महिला से कहा था कि वो शाम ढलने से पहले गांव छोड़कर चली जाए और पीछे मुड़कर ना देखे, लेकिन महिला नहीं मानी और पीछे मुड़कर देखने लगी, जिसके बाद वो पत्थर की बन गई। मंदिर से कुछ ही दूरी पर उस महिला की मूर्ति भी स्थापित है।

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