जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हमारे सौरमंडल में कुल आठ ग्रह हैं, जिसमें सबसे छोटा और सूर्य के सबसे नजदीक वाला ग्रह है बुध, जिसे अंग्रेजी में 'मरक्यूरी' के नाम से जाना जाता है। यह नाम एक संदेशवाहक रोमन देवता के नाम पर पड़ा है, क्योंकि यह ग्रह आकाश में काफी तेजी से गमन करता है। लगभग 88 दिन में ही यह अपना एक परिक्रमण पूरा कर लेता है। हम आपको इस ग्रह के कुछ ऐसे रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही आ जानते होंगे।
बुध को पृथ्वी के बाद दूसरा सबसे घना ग्रह (खनिज की अधिकता) कहा जाता है, जहां खनिज की अधिकता है। यह मुख्य रूप से भारी धातुओं और चट्टान की विशाल संरचना से बना ग्रह है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बुध की सतह पृथ्वी के चंद्रमा की सतह से बिल्कुल मिलती जुलती है।
बुध ग्रह पर जीवन बिल्कुल भी संभव नहीं है, क्योंकि यहां का वायुमंडल मौसम रहित है। यानी इस ग्रह के वायुमंडल में पृथ्वी की तरह मौसमी घटनाएं नहीं होती। इसका औसत तापमान -173 से 427 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहता है, जो किसी भी जीव को पल भर में जमा दे या जला दे।
बुध ग्रह के सतह के नीचे पृथ्वी की तरह ही टेक्टोनिक प्लेट्स सक्रिय हैं, जिसके कारण इस ग्रह पर भी भूकंपीय घटनाएं होती रहती हैं। यहां की सतह पर कुछ प्राचीन लावा क्षेत्रों की उपस्थिति से पता चलता है कि अतीत में बुध पर ज्वालामुखी गतिविधि रही थी।
बुध ग्रह को सुबह या शाम का तारा भी कहा जाता है, क्योंकि यह सूर्योदय से ठीक पहले और सूर्यास्त के ठीक बाद आसमान में दिखाई देता है। यह सौरमंडल के उन पांच ग्रहों में से एक है जो आसमान में नग्न आंखों से देखे जा सकते हैं। बुध के अलावा अन्य चार ग्रह शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि हैं। बुध पर एक दिन पृथ्वी के 176 दिनों के बराबर होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह ग्रह लगातार सिकुड़ रहा है। उनका कहना है कि चार अरब साल पहले जब बुध ग्रह की सतह सख्त हुई थी तब की तुलना में आज यह ग्रह सात किलोमीटर छोटा हो गया है।
बुध की सतह पर बड़े-बड़े गड्ढे पाए गए हैं। इनमें से कुछ तो सैकड़ों किलोमीटर लंबे और तीन किलोमीटर तक गहरे हैं। माना जाता है ये गड्ढे क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं के बुध के साथ टकराव संबंधित खगोलीय घटनाओं की वजह से बने हैं।
बुध का अपना कोई प्राकृतिक उपग्रह या चंद्रमा नहीं है। इसके अलावा यहां की सतह पर अजीब तरह की झुर्रियां पाई जाती हैं। माना जाता है कि बुध पर अत्यधिक गर्मी के कारण जैसे-जैसे ग्रह का लोहा सिकुड़ना शुरू हुआ, यहां की सतह झुर्रीदार बनती चली गई। इन झुर्रियों को 'लोबेट स्कार्प्स' के नाम से जाना जाता है और ये झुर्रियां एक मील तक ऊंची और सैकड़ों मील लंबी हो सकती हैं।